Akbar and Birbal story in Hindi – एक बार की बात है जब एक व्यापारी अपने राज्य से बादशाह अकबर के राज्य मुर्तिया बेचने जा रहा था । वहां पहुंचने के लिए उसे एक नदी पार करनी थी जिसके लिए वह एक नाव में बैठता है ।
कुछ देर बाद पूरी नदी पार कर एक किनारे पर व्यापारी नाव से उतर जाता है । नाव से उतरने के बाद जैसे ही वह अपने मूर्तियों से भरी बोरी को नीचे उतारने के लिए हाथ आगे बढ़ाता है वह नाविक उसे कहता है “ये क्या कर रहे हो ?”
व्यापारी कहता है ” क्या कर रहा हूँ मतलब ? मैं अपना सामान उतार रहा हूँ “
नाविक कहता है “यह तुम्हारा सामान नहीं, मेरा सामान है ।”
व्यापारी को नाविक की बात सुनकर गुस्सा आता है और वह उसे चिल्ला कर कहता है “ये कैसी बात कर रहे हो, यह सामान मैं लेकर आया हूँ तो यह तुम्हारा कैसे हो सकता है ?”
नाविक कहता है “यह सामान अब मेरा है, तुम्हे जो करना है कर लो ।”
व्यापारी समझ जाता है कि नाविक उसे धमकी दे रहा है और उसका सामान वापस नहीं करने वाला ।
व्यापारी नाविक से कुछ नहीं कहता और मदद मांगने के लिए बादशाह अकबर के दरबार में जाता है ।
दरबार में अकबर के सामने पहुंचकर व्यापारी सारी बात बताता है और बादशाह अकबर तुरंत अपने सैनिक से कहकर उस नाविक को दरबार में बुलाते है ।
कुछ समय बाद नाविक दरबार में आता है और अकबर उससे सवाल करते है “नाविक, इस व्यापारी का आरोप है कि तुमने इसका सामान रख लिया है और उसे तुम अपना सामान बता रहे हो ?”
नाविक कहता है “नहीं बादशाह, यह व्यापारी झूठ बोल रहा है, वह सारा सामान मेरा है ।”
अकबर व्यापारी से बहुत सारे सवाल करते है लेकिन अंत तक व्यापारी यही कहता रहा कि वह सारा सामान उसका ही है ।
नाविक को दरबार से जाने को कहा जाता है और अकबर अपने सलाहकार बीरबल को बुलाते है और व्यापारी की परेशानी को दूर करने के लिए कहते है ।
बीरबल अगले दिन उस नाविक के पास जाता है और उससे पूछता है “इस बोरी में क्या रखा है ?”
नाविक कहता है “इसमें मुर्तिया है, मैं नाव चलाने के साथ-साथ मुर्तिया भी बेचता हूँ ।”
बीरबल कहता है “यह तो बड़ी सुन्दर मुर्तिया है, मैं इन्हे खरीदना चाहता हूँ, बताओ तुम इन्हे कितने पैसे में दोगे ?”
नाविक जवाब देता है “यह सारी मुर्तिया पांच हज़ार रूपये की है ।”
बीरबल एक मूर्ति उठाता है और कहता है “यह मुर्तिया दिखने में तो सुन्दर है लेकिन बहुत ही कमज़ोर है, तो मैं इसके तीन हज़ार रुपये ही दूंगा ।”
नाविक कुछ देर सोचता है और फिर तीन हज़ार रुपये में सारी मुर्तिया बीरबल को बेच देता है ।
अगले दिन बीरबल व्यापारी को दरबार में बुलाता है और उससे पूछता है “अगर वो सारी मुर्तिया तुम्हे वापस मिल जाएगी तो तुम उन्हें कितने में बेचोगे ?”
व्यापारी जवाब देता है “उन सारी मूर्तियों की किमत बीस हज़ार रुपये है ।”
बीरबल कहता है “अगर मैं तुम्हे उसके दस हज़ार दू तो क्या तुम मुझे वह मुर्तिया दे दोगे ?”
व्यापारी कहता है “नहीं बीरबल जी, फिर तो मैं घाटे में रहूँगा क्योकि उन सारी मूर्तियों की कीमत कम से कम बीस हज़ार रुपये है, अगर मैंने उन्हें इससे कम दाम में बेचा तो मुझे घाटा हो जाएगा ।”
बीरबल समझ जाता है कि उन सारी मूर्तियों का असली मालिक कौन है ।
बीरबल तुरंत यह सारी बात बादशाह अकबर को बताता है और उस नाविक को दरबार में बुलाया जाता है ।
कुछ देर बाद नाविक दरबार में आता है और अकबर उससे कहते है ” तुमने दरबार में आकर मुझसे झूठ बोला है क्योकि अगर वह सारी मुर्तिया तुम्हारी होती तो तुम उनकी असली कीमत जानते ना कि इतने कम दाम में उन्हें बेचते ।”
नाविक रोते हुए अकबर के सामने हाथ जोड़कर माफ़ी मांगता है और कहता है “मुझे माफ़ कर दीजिये बादशाह, मुझसे गलती हो गई ।”
अकबर उसे माफ़ नहीं करते है और उसे कड़ी सजा दी जाती है ।
इस Akbar and Birbal story in Hindi – चतुर बीरबल कहानी से हमें सीख मिलती है कि हमें कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए और हमेशा ईमानदार रहना चाहिए ।
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