Birbal Akbar ki kahani – एक बार की बात है जब अकबर और बीरबल ईरान घूमने के लिए गए। वहां के नवाब के मेहमान बनकर महल में ठहरे।
पांच दिन वहां रुकने के बाद जब वे वापस आने की तैयारी करने लगे तभी नवाब ने बीरबल की चतुराई की परीक्षा लेने के लिए एक टेढ़ा-सा सवाल पूछने के बारे में सोचा।
नवाब ने बीरबल से पूछा : बीरबल, क्या तुम मेरे एक सवाल का जवाब दोगे?
बीरबल ने कहा : हां जनाब, पूछिए!
नवाब ने पूछा : तुम अपने शहंशाह और मेरी तारीफ एक साथ कैसे करोगे?
बीरबल ने सोचकर जवाब दिया : आप दोनों ही चांद हैं जनाब। मेरे शहंशाह चौथ का चांद है और आप पूरे चांद है!
जवाब सुनकर नवाब बेहद खुश हो गए, लेकिन अकबर उस समय कुछ न बोले, गुमसुम हो गए और रास्ते भर अकबर बीरबल से बेहद खफा रहे।
अकबर की नाराजगी को बीरबल ताड़ गए, शहंशाह क्यों हैं खफा, यह कारण भी जान गए।
बीरबल ने कहा : जहांपना! आप सोच रहे हैं, मन ही मन मुझे कोस रहे हैं। पर मैं बताता हूं आपको सच, कि मै हमेशा आपकी तरक्की के बारे में ही सोचता हूं बस।
उनको कहा मैंने पूरा चांद, जो धीर-धीरे घटने लगता है जहांपना! लेकिन आपको बताया चौथ का चांद जो हर रात बढ़ता है। आप तो बढ़ते ही जाएंगे और जगह-जगह अपना मकाम बनाएंगे। अब बताइए जहांपना! मैंने कौन-सी गलत बात कही?
बीरबल की बात सुनकर अकबर खुश होकर मुस्कुरा दिए और एक बार फिर से बीरबल की अक्ल का लोहा मान गए।
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