Bolti kahaniya – एक नगर में एक सौदागर रहता था। उसकी तीन बेटियाँ थीं। तीनों देखने में बहुत सुंदर थी। सौदागर अपनी बेटियों से बहुत ज्यादा प्यार करता था। लेकिन छोटी बेटी से उसे कुछ ज्यादा ही लगाव था।
एक बार सौदागर व्यापार के सिलसिले में विदेश जाने लगा तो उसने तीनों बेटियों से पूछा कि विदेश से उनके लिए क्या लाऊं?
बड़ी बेटी ने कहा : मुझे चाहिए एक सोने की थाली, मंझली बेटी ने कहा : मुझे चाहिए एक सोने का पंखा और छोटी बेटी बोली : मुझे एक सोने का सेब चाहिए।
व्यापार के कार्य निपटाने के बाद सौदागर जब घर लौटने लगा, तब बड़ी बेटी के लिए सोने की थाली, मझली बेटी के लिए सोने का पंखा लेकर आया, पर उसे कहीं भी सोने का सेब नहीं मिला। दोनों बेटियाँ अपनी इच्छित वस्तु पाकर बहुत खुश हुईं। किन्तु छोटी बेटी सुंदर होने के साथ-साथ दिल की भी बहुत अच्छी थी।
वह सोने का सेब नहीं मिल पाने के कारण दुःखी नहीं हुई। उसने पिता से कहा : आप तो अक्सर विदेश जाते रहते हैं। यदि कहीं कभी भी सोने का सेब मिले तो मेरे लिए ले आइएगा।
इधर एक राजकुमार घोड़े पर बैठकर एक राज्य से दूसरे राज्य में घूमते हुए एक दिन सौदागर के शहर में आ पहुंचा।
रास्ते में चलते-चलते सौदागर के घर के पास जब वह पहुँचा तब उसने उसकी छोटी बेटी को देखा तो उसे देखता ही रह गया। उसे लगा कि वही उसकी रानी होने के योग्य है।
वह सौदागर के पास पहुँचा और अपना परिचय देकर उससे उसकी छोटी बेटी का हाथ मांगा। राजकुमार की बातें सुनकर सौदागर ने कहा : आपकी बात सुनकर मुझे खुशी हुई, परंतु मैं आपकी बात मानने में असमर्थ हूँ।
आप जिसका हाथ मांग रहे हो वह मेरी सबसे छोटी बेटी है। उससे बड़ी दो बेटियाँ और है। बड़ी बेटियो की शादी किए बिना छोटी बेटी के साथ आपकी शादी कैसे कर दूँ? यदि आप चाहो, तो मैं अपनी बड़ी बेटी के साथ आपकी शादी करवा सकता हूँ।
सौदागर की बड़ी बेटी भी अत्यंत सुंदर थी, वह भी रानी बनने के योग्य थी।
राजकुमार ने कहा : मैं आपकी बात से सहमत हूँ किन्तु अपने माता-पिता को दिखाने के लिए उसे अपने साथ लेकर जाना चाहता हूँ। दो दिनों के अंदर वापस ले आऊँगा।
सौदागर की बड़ी बेटी को लेकर राजकुमार रवाना हुआ। थोड़ी दूर जाने पर राजकुमार ने अपने घोड़े से कहा : ओ मेरे पवन घोड़े, तुरंत हमें हमारे जादूघर में ले चलो।
राजकुमार का आदेश पाते ही घोड़ा पवन की गति से उड़ने लगा और कुछ ही देर बाद घने जंगल के भीतर स्थित एक छोटे से घर के दरवाजे के समीप जाकर रुक गया।
घोड़े की पीठ से उतरकर राजकुमार सौदागर की लड़की को लेकर घर के अंदर गया। एक कमरे में एक आसन पर उसे बैठने को कहा।
वह आसन बहुत सुंदर और नरम था। जब सौदागर की बेटी उस पर बैठी, तब एक दासी उसके लिए शरबत का गिलास लेकर आई।
राजकुमार के अनुरोध पर सौदागर की बेटी ने शरबत पी लिया। अब ने राजकुमार सौदागर की बेटी से पूछा : तुम इतने नरम आसन पर पहले कभी बैठी थी और इतना बढ़िया शरबत कभी पीया था?
सौदागर की बेटी बोली : इतने नरम आसन पर कभी नहीं बैठी और इतना बढ़िया शरबत जीवन में कभी भी नहीं पीया।
राजकुमार ने कहा : मेरे प्रश्न के उत्तर में तुमने जो कहा है। उस तरह का उत्तर रानी होने योग्य लड़की के मुख से कभी नहीं निकलेगा।
तुम रानी होने के योग्य नहीं हो। चलो, तुम्हें तुम्हारे पिता के घर छोड़ देता हूँ। राजकुमार सौदागर की बड़ी बेटी को लेकर सौदागर के घर की ओर चला।
इसके बाद सौदागर की मझली बेटी को लेकर राजकुमार अपने उसी घर में पहुँचा। मझली बेटी को नरम आसन पर बिठाने एवं शरबत पिलाने के बाद राजकुमार ने उससे भी वही सवाल किए।
मंझली बेटी ने भी कहा कि इतने नरम आसन पर वह कभी नहीं बैठी और इतना बढ़िया शरबत उसने कभी नहीं पीया।
उत्तर सुनने के बाद राजकुमार ने कहा : तुम भी रानी बनने के योग्य नहीं हो। वह उसे उसके पिता के घर वापस ले गया। अंत में छोटी बेटी की बारी आई।
अन्य दो बहनों की तरह उसे भी नरम आसन पर बैठाया गया एवं पीने के लिए शरबत दिया गया। उसके बाद राजकुमार ने उससे पूछा : इतने नरम आसन पर तुम कभी बैठी थी और इतना बढ़िया शरबत तुमने कभी पीया है?
छोटी बेटी हँसकर बोली : जी हाँ, माँ की गोद इससे बहुत अधिक नरम है और माँ का दूध इस शरबत से भी अधिक अच्छा था।
सौदागर की छोटी बेटी के उत्तर से खुश होकर राजकुमार ने कहा : तुम्हारे जैसी लड़की ही मेरी रानी बनने के योग्य है।
राजकुमार ने सौदागर की छोटी बेटी को उसके घर पहुंचा दिया और सौदागर को सारी बातें बताईं।
सौदागर सारी बातें सुनकर बहुत खुश हुआ और उसने अपनी छोटी बेटी के साथ राजकुमार का विवाह कर दिया।
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