बदले की भावना – Cartoon kahaniya cartoon kahaniya

Cartoon kahaniya cartoon kahaniya – एक बार की बात है जब एक विद्यालय में अमित और रौशन एक ही कक्षा के दो छात्र थे। रौशन एक निर्धन परिवार का सीधा-सादा लड़का था जबकि अमित एक शहर के बड़े व्यापारी का इकलौता बेटा था।

माँ-बाप के अधिक लाड़-प्यार ने अमित को बेहद घमण्डी तथा जिद्दी बना दिया था। अमित पढ़ाई-लिखाई में हमेशा पीछे और कक्षा में होने वाली शरारतों में सबसे आगे रहता था ।

रौशन इन सब में कभी भाग नही लेता था, वह कभी-कभी परेशान होकर इन शैतानियों की सूचना अपने मास्टर जी को दे दिया करता था, जिससे अमित को दण्ड भुगतना पड़ता। इसलिए अमित रौशन को अपना दुश्मन मानता था और उससे ईष्या करता था।

अमित हर वक्त रौशन को सताता और उसको नीचा दिखाने की कोशिश करता। वह मन ही मन रौशन से बदला लेने और उसे सबक सिखाने के लिए अवसर की प्रतीक्षा में रहता था।

एक दिन आखिर उसे मौका मिल ही गया। वह दीपावली की जगमगाती रात थी। घर-घर में रोशनियों की चमक-दमक ने चारों ओर उजाला कर रखा था। सब तरफ से आतिशबाजियों व पटाखों की धमाकों से आकाश गूंज रहा था। अमित ने सोचा कि यही मौका है रौशन को सबक सिखाने का।

उसके शैतान दिमाग ने एक खतरनाक योजना बनायी कि जब थोड़ी देर बाद रौशन उसके घर के सामने से गुजरेगा तो वह अपना काम निपटा लेगा। जो भी नुकसान होगा उसे महज एक दुर्घटना ही समझा जाएगा और उस पर कोई आरोप नहीं आएगा।

फिर जैसे ही रौशन वहाँ से गुजरा, अमित ने उस पर कुछ फटाखे फेंके। फटाखों के धमाकों के साथ-साथ दर्द भरी चीखों से वातावरण गूंज उठा।

अमित की चीखें सुनकर रौशन तेजी से अमित की ओर दौड़ा। उसने शोर मचाकर आसपास के लोगों को इकट्ठा किया। अमित लगभग बेहोशी की हालत में था। उसके हाथ-पाँव और चेहरे के काफी हिस्से जल गए थे। उसे तुरंत अस्पताल पहुँचाया गया।

अमित के माता-पिता अपने पुत्र की ऐसी दुर्दशा देखकर रो पड़े। अमित को दस दिनों तक अस्पताल में ही रहना पड़ा। बेहोशी की हालत में वह बड़बड़ा कर कहने लगा “रौशन, मुझे माफ कर दो।” “रौशन मुझे माफ कर दो।”

रौशन को बड़ा आश्चर्य होता कि अमित उससे क्यों माफी क्यों माँग रहा है ? होश में आने पर अमित के पिताजी ने अपने बेटे से पूछा “अमित बेटे, तुम्हारी ऐसी दुर्दशा कैसे हुई ?”

अमित ने बताया कि वह किस प्रकार से रौशन पर फटाके फेंकने वाला था लेकिन फटका उसी के हाथ में फट गया।

अमित ने रौशन तथा अपने माता-पिता सभी से माफी माँगी और वादा किया कि अब कभी किसी के लिए ना तो बुरा सोचेगा ना हीं करेगा।

इस Cartoon kahaniya cartoon kahaniya – बदले की भावना कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जो दूसरों के लिए गड्डा खोदता है वह खुद भी उसमें गिर सकता है। इसलिए हमें कभी भी किसी के लिए ना तो बुरा सोचना चाहिए ना ही करना चाहिए।

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