Cartoon kahaniya Hindi – एक बार की बात है जब एक विद्यालय में राकेश नाम का लड़का पढता था । राकेश स्वभाव से बहुत ही बदमाश था और दिनभर बदमाशी करता था ।।
राकेश के माता पिता उसके इस स्वभाव से हमेशा परेशान रहते और साथ ही साथ उसके विद्यालय के शिक्षक भी ।
एक दिन राकेश हमेशा की तरह अपनी कक्षा में खेल रहा था और खेलते हुए उसने उसने एक गेंद कक्षा में लगे बिजली के बल्ब में मार दी जिससे वह बल्ब फूट जाता है ।
राकेश की कक्षा के शिक्षक राकेश की शिकायत विद्यालय के प्राचार्य से करते है जिसे सुनकर प्राचार्य कहते है “राकेश आजकल कुछ ज्यादा ही बदमाशी कर रहा है, कल जब वह विद्यालय आएगा तो मै उससे डाटूंगा और उसे विद्यालय से एक महीने के लिए निष्कासित कर दूंगा ।
अगले दिन प्राचार्य विद्यालय खुलते ही राकेश की प्रतीक्षा करते है लेकिन राकेश नहीं आता जिससे राकेश के प्रति उनका गुस्सा और बढ़ जाता है ।
फिर भोजन अवकाश हो जाता है और जैसे ही प्राचार्य अपने खाने का डब्बा खोलते है वैसे ही राकेश उनके कमरे में आता है ।
राकेश को देखते ही प्राचार्य मन में सोचते है “एक तो इस लड़के की प्रतीक्षा कर-कर के मुझे इतनी भूख लग गई और ये आया नहीं,अब जब मै खाने बैठ रहा हूँ तो यह आ गया ।”
प्राचार्य राकेश को गुस्से में कहते है “राकेश, कहा थे तुम, यह कोई समय है विद्यालय आने का ?”
राकेश को मालूम था कि उसे आज कुछ बड़ी सजा मिलने वाली है इसलिए वह एक कहानी बनाता है और प्राचार्य से कहता है “प्राचार्य जी, मै जब अपने घर से निकला तो रास्ते में मुझे एक सोने के सिक्को से भरा थैला मिला ।”
प्राचार्य राकेश की बात सुनकर आश्चर्य में आ जाते है और कहते है “क्या, तुम्हे सोने के सिक्के मिले, तो तुमने फिर क्या किया उनका ?”
राकेश कहता है “प्राचार्य जी, मैंने उन् सिक्को को अपने पिताजी को दे दिया जिसे वे सोनार के पास ले गए थे बेचने के लिए फिर उन् पैसो से हम अपना नया घर बनवाएंगे और एक बड़ी गाड़ी लेंगे ।”
फिर राकेश आखरी में कहता है “प्राचार्य जी, मैंने कुछ सिक्के आपके लिए भी रखे है, क्योकि मेरे कारण आपको बहुत परेशानी होती है और फिर भी आप शांति से मुझे पढ़ाते है और कभी कोई दंड भी नहीं देते है ।”
राकेश की बात सुनकर प्राचार्य जी लालच में आ जाते है और भूल जाते है कि उन्होंने राकेश को बुलाया क्यों था और उसे डांटने के बजाय, उसे अपना भोजन दे देते है खाने के लिए ।
प्राचार्य जी मन ही मन सोचने लगते है कि राकेश उन्हें कितने सोने के सिक्के देगा और क्या वे इतने होंगे जिससे वे एक खेत खरीद ले ।
प्राचर्य जी का ध्यान अचानक राकेश पे जाता है और वे देखते है कि राकेश ने खाने का पूरा डब्बा खाली कर दिया है ।
फिर वे राकेश से पूछते है “राकेश, जो सिक्के तुम मुझे देने वाले हो, तुमने उन सिक्को को सम्हाल के किसी सुरक्षित जगह में तो रखा है ना ?
राकेश भोला सा चेहरा बनाते हुए कहता है “जी नहीं प्राचार्य जी, मै ऐसा नहीं कर पाया, क्योकि ऐसा करने से पहले ही मेरी माता जी ने मुझे जगा दिया और मेरी नींद खुल गई ।”
राकेश की बात सुनकर प्राचार्य उसे कहते है “क्या, ये सब एक सपना था ?”
राकेश हां में उत्तर देता है ।
प्राचार्य उसे कहते है “चलो, कम से कम तुमने अपने सपने मे मेरे बारे में भी सोचा और मै उम्मीद करता हूँ कि कभी ऐसा कुछ सच में हुआ तो भी तुम मेरे बारे में सोचोगे ।”
फिर प्राचार्य राकेश को वहां से जाने बोल देते है और राकेश मुस्कुराते हुए वहां से चला जाता है ।
राकेश के जाने के कुछ देर बाद प्राचार्य जी को याद आता है कि उन्होंने राकेश को अपने पास बुलाया क्यों था और उन्हें एहसास होता है कि उन्होंने सोने के सिक्को के लालच में राकेश को बिना डांटे और बिना दंड दिए ही जाने दिया ।
इस Cartoon kahaniya Hindi – लालच का परिणाम कहानी से हमें यह सीख मिलती ही कि लालच करने से हमेशा हमारा नुकसान होता ही इसलिए हमें कभी भी किसी भी चीज़ के लिए लालची नहीं होना चाहिए ।
Also read – Hindi story with moral for class 6 – अपना-अपना मत
Also read – Hindi short story for class 4 – एक अच्छा पड़ोसी
Also read – Akbar Birbal stories in Hindi with moral – बीरबल की ज़िद
Also read – Hindi short story for class 3 – बहादुर लड़का
Also read – Akbar Birbal story in Hindi pdf – बीरबल और चालाकी
अगर आपको Cartoon kahaniya Hindi – लालच का परिणाम कहानी पसंद आई हो तो कृपया इसे अपने साथियो के साथ शेयर करे। धन्यवाद्।