धोबी और कुम्हार की लड़ाई – Chatur Birbal

Chatur Birbal – एक बार की बात है जब बादशाह अकबर के राज्य में एक धोबी और कुम्हार पास-पास रहते थे।

एक दिन कुम्हार ने मिट्टी के बहुत सारे बर्तन बनाए। उसने बर्तनों को सुखाने के लिए धूप में रख दिया और घर में आराम करने लग गया।

तभी वहां दो गधे आए और आपस में लड़ने लग गए। इस कारण कुम्हार के सारे बर्तन टूट गए।

वह लाठी लेकर बाहर आया। उसने अपनी लाठी को घुमाया और एक गधे पर जोर से मारा। गधा ढेंचू-ढेंचू  कर बाहर की ओर भागा। इस पर कुम्हार का पड़ोसी दौड़कर आया और बोला, अरे, अरे! यह क्या कर रहे हो, यह मेरा गधा है।

कुम्हार ने नाराज होकर कहा, तो क्या हुआ,  इसने मेरे सारे बर्तन तोड़ दिए।

धोबी ने कहा : तुमने मेरे गधे को क्यों पीटा? तुम्हारे बर्तन टूट गए तो उनके पैसे ले लेते। कुम्हार ने सोचा- इस धोबी ने सबके सामने मेरी बेइज्जती कर दी। मैं इस धोबी को ऐसा मजा चखाऊँगा कि यह याद रखेगा।

दूसरे दिन सुबह-सुबह कुम्हार बादशाह अकबर के दरबार में पहुंचा। उसने बादशाह से कहा : जहाँपनाह! मैं एक छोटा सा कुम्हार हूँ। आपके राज्य में रहता हूँ।

अकबर ने कहा : बताओ, तुम्हें क्या परेशानी है?

कुम्हार ने कहा : जहाँपनाह, मैं एक जरूरी बात बताने के लिए आया हूँ। \

अकबर ने कहा : जल्दी बताओ।

कुम्हार ने कहा : जहाँपनाह, मेरा एक दोस्त फारस गया था। वह कुछ दिन पहले ही वापस आया है।

उसने बताया कि वहां आपके नाम का डंका बजता है। आपकी बड़ी इज्जत है, मगर, यह कहकर कुम्हार चुप हो गया।

अकबर ने कहा : मगर क्या?

कुम्हार ने कहा : आपके हाथियों के बारे में उनका ख्याल अच्छा नहीं है।

अकबर ने आश्चर्य-भरे स्वर में पूछा, हाथियों के बारे में, तुम क्या कहना चाहते हो?

कुम्हार ने कहा : जी हा हुजूर, उनका कहना है कि हमारे हाथी बड़े गंदे और काले हैं। हुजूर शाही हाथियों को तो साफ-सुथरा होना चाहिए।

अकबर ने कहा : बात तो तुम्हारी ठीक है।

फिर कुम्हार ने कहा : हुजूर ! मेरे दोस्त ने बताया कि फारस के बादशाह के हाथीखाने में सारे हाथी दूध की तरह सफेद हैं।

अकबर ने कहा : बात तो तुम्हारी ठीक है।

कुम्हार ने कहा : हुजूर, मेरे दोस्त ने बताया कि फारस के बादशाह के हाथीखाने में सारे हाथी दूध की तरह सफेद हैं।

अकबर ने समझ लिया कि यह कोई चालबाज आदमी है। फिर भी उन्होंने पूछा कि फारस के बादशाह अपने हाथियों को इतना साफ-सुथरा कैसे रखते हैं?

कुम्हार ने उत्तर दिया, सीधी सी बात है हुजूर, इस काम के लिए उन्होंने धोबियों की पूरी फौज लगा रखी है।

तो हम भी शहर के तमाम धोबियों को इस काम पर लगाए देते हैं।

अकबर ने अपने सिपाहियों से कहा कि राज्य के सारे धोबियो को बुलाया जाए।

इस पर कुम्हार बोला : जहाँपनाह, शहर का एक बेहतरीन धोबी मेरे पड़ोस में रहता है। वह अकेला इस काम के लिए काफी है।

अकबर ने मन-ही-मन सोचा तो यह अपने पड़ोसी को फँसाना चाहता है, लेकिन उन्होंने कहा : ठीक है, हम उसी को बुला लेते हैं।

अकबर के आदेश पर धोबी को दरबार में हाजिर किया गया। वह डर के कारण काँप रहा था। अकबर ने धोबी से कहा : देखो हमारे हाथीखाने के सारे हाथी काले हैं। तुम्हें इन्हें धोकर सफेद करना है।

जी हुजूर! धोबी ने कहा। उसके सामने एक हाथी लाया गया। वह सुबह से शाम तक उसे धोता रहा। किन्तु काला हाथी सफेद न हो सका।

निराश होकर वह अपने घर की ओर चल पड़ा। उसने सोचा, यह सब उस कुम्हार की करतूत है। पर मैं करूँ तो क्या करूँ?

तभी उसे बीरबल आते हुए दिखाई दिए। वह हाथ जोड़कर खड़ा हो गया। बीरबल ने पूछा कि क्या हुआ भाई, इस तरह मुँह लटकाए क्यों खड़े हो?

धोबी ने सारी घटना बताई। बीरबल ने उसकी सारी परेशानी सुनी और उसके कान में कुछ कहा।

दूसरे दिन धोबी हाथीखाने में पहुंचा। कुछ देर बाद अकबर भी वहां पहुंच गए। उन्होंने हाथी को देखा और धोबी से बोले, यह हाथी तो वैसा ही है, जरा भी सफेद नहीं हुआ। तुम कल दिनभर क्या करते रहे?

धोबी ने गिड़गिड़ाते हुए कहा : हुजूर, बात यह है, अगर कोई बड़ा-सा बर्तन हो, जिसमें यह हाथी खड़ा हो सके तो काम आसान हो जाएगा।

अकबर ने आदेश दिया कि हाथी के खड़े होने के लिए बड़ा बर्तन बनवाया जाए। बर्तन बनाने का काम उसी कुम्हार को सौंपा गया।

एक हप्ते बाद कुम्हार बर्तन लेकर हाजिर हुआ। मन-ही-मन वह सोच रहा था – धोबी का बच्चा समझता होगा कि फँस जाऊंगा। अब देखता हूँ, धोबी कैसे बचेगा ? अकबर ने बर्तन को देखा और आदेश दिया हाथी को बर्तन में खड़ा किया जाए। जैसे ही हाथी को बर्तन में खड़ा किया गया, बर्तन चूर-चूर हो गया। अकबर ने नाराज होकर कहा, क्यों रे कुम्हार, यह कैसा बर्तन बनाया है, यह तो एक बार में ही टूट गया। जल्दी से दूसरा बर्तन बनाकर ला। कुम्हार बर्तन बनाकर बनाकर लाता रहा और वह बार-बार टूटता रहा।

आखिर वह बादशाह के पैरों में गिर पड़ा और कहा, हुजूर मुझे माफ करें, मैंने बहुत बड़ी गलती की है।

इस पर अकबर ने धोबी से कहा, धोबी मैं जानता था कि यह तुम्हें फँसाना चाहता है। पर तुमने इसकी चाल का मुहतोड़ जवाब दिया।

इस होशियारी के लिए हम तुम्हें इनाम देंगे।

धोबी ने हाथ जोड़कर कहा : जहाँपनाह, इनाम के असली हकदार तो बीरबल हैं। उन्होंने मुझे यह तरकीब बताई थी।

बादशाह अकबर ने बीरबल की और देखा। बीरबल धीमे-धीमे मुस्करा रहे थे।

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