Hindi kahani Akbar Birbal – एक बार की बात है जब बादशाह अकबर ने एक कैदी को मौत की सजा सुनाई। सजा सुनकर कैदी आपा खो बैठा और बादशाह अकबर को गालिया देने लगा।
क्योकि कैदी दरबार के कोने में खड़ा था, इसलिए उसकी गालियां बादशाह को सुनाई नहीं पड़ रहीं थी इसलिए बादशाह ने अपने वजीर से पूछा कि वह क्या कह रहा है ?
इस पर वजीर ने बताया जहांपना, कैदी कह रहा है कि वे लोग कितने अच्छे होते है जो अपने क्रोध को पी जाते है और दूसरों को क्षमा कर देते है।
यह सुनकर बादशाह को दया आ गई और उसने कैदी को माफ कर दिया।
लेकिन एक दरबारी ऐसा था जो वजीर से जलता था और जैसे ही उसने वजीर की बात सुनी उसने तुरंत बादशाह से कहा, जहांपना, वजीर ने आपसे झूठ कहा है। वह कैदी आपको गंदी-गंदी गालियां दे रहा था, आप उसे माफ मत कीजिये।
दरबारी की बात सुनकर बादशाह को गुस्सा आ गया और गुस्से में दरबारी से बोले, मुझे वजीर की बात सही लगी क्योंकि इसने झूठ भी बोला तो किसी की भलाई के लिए बोलै, इसके अंदर भलाई करने का जज्बा तो है।
जबकि तुम्हारे अंदर बुराई भरी हुई है और तुम दरबार में रहने के योग्य नहीं हो। तुम्हें तुरंत यहाँ से बेदखल किया जाता है।
दोस्तों, इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमेशा अपने व्यवहार और वाणी से दूसरों की भलाई के बारे में ही सोचना चाहिए। वो झूठ भी सत्य के बराबर है जहाँ किसी की भलाई हो या जिंदगी बचाने का सवाल हो।
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