Hindi kahani Hindi kahani – एक समय की बात हैं, एक शिष्य अपने गुरु का बहुत आदर करता था। गुरु भी अपने शिष्य से बहुत स्नेह करते थे, लेकिन वह शिष्य पढाई के प्रति आलसी था और हमेशा टालमटोल करता रहता था। सदा काम से दूर भागने की कोशिश करता था। अब गुरूजी तनाव में रहने लगे की उसका शिष्य जीवन की लड़ाई में हार न जाये।
आलस्य किसी भी मनुष्य को निकम्मा बनाने की पूरी ताकत रखता है। ऐसा व्यक्ति बिना मेहनत के भी फल पाने की इच्छा रखता हैं। वह शीघ्र निर्णय नहीं ले पाता और किसी भी काम को ठीक से नहीं कर पाता।
इसीलिए गुरूजी ने एक योजना बनाई, उन्होंने एक दिन एक काले पत्थर का एक टुकडा उनके शिष्य के हाथ में देते हुए कहा : मैं तुम्हें यह जादुई पत्थर का टुकडा दो दिन के लिए दे कर दूसरे गाँव जा रहा हूँ, इस टुकड़े को किसी भी लोहे की वस्तु से स्पर्श करोगे तो वह लोहा सोने में बदल जायेगा, लेकिन याद रहे की दूसरे दिन सूर्यास्त के बाद इसे तुमसे वापस ले लूंगा।
शिष्य उस पत्थर को पाकर बडा खुश हुआ, लेकिन आलसी होने के कारण उसने पहला दिन यह सोचने में निकाल दिया कि उसके पास ढेर सारा सोना हो जायेगा, तब वह बहुत धनवान होकर जीवन बिताएगा, उसके खूब सारे नौकर चाकर होंगे और जीवन मजे से गुजर जाएगा।
फिर वो जब दुसरे दिन वह जागा, उसे याद था कि आज दूसरा और अंतिम दिन हैं सोना बनाने के लिए। उसने ठान लिया की इस पत्थर का पूरा इस्तेमाल करेगा।
उसने सोचा की वह बाजार से बड़े-बड़े लोहे के बरतन लाएगा और उन सबको सोने में बदल देगा। दिन बीतता गया, उसने सोचने में बिलकुल भी आलस नहीं किया, वह इसी सोच में बैठा रहा की अभी तो बहुत समय है, कभी भी बाज़ार जाकर सामान ले आएगा।
उसने सोचा कि अब तो दोपहर का भोजन करने के बाद ही बाजार जायेगा, पर खाने के बाद उसे विश्राम करने की आदत थी, तो वह बाजार जाने का कष्ट ना उठाकर, आलस्य का गुलाम बनकर घोड़े बेचकर सो गया और जब वो उठा तो दिन टहलने ही वाला था।
अब वह जल्दी-जल्दी बाज़ार की ओर भागने लगा, पर रास्ते में ही उसे गुरूजी मिल गये, उनको देखते ही वह उनके चरणों पर गिरकर, उस जादुई पत्थर को एक दिन और अपने पास रखने के लिए याचना करने लगा लेकिंन गुरूजी नहीं माने।
शिष्य के सुनहरे सपने चूर-चूर हो गए। पर इस घटना से उसे बहुत बड़ी सिख मिल चुकी थी। उसे अपने आलस्य पर पछतावा होने लगा, वह समझ गया की आलस्य उसके जीवन के लिए अभिशाप हैं और उसने प्रण लीया कि अब वह कभी भी काम से भागेगा नहीं और एक कर्मठ, सजग और सक्रिय व्यक्ति बन के दिखायेगा।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है, कि हर किसी को अपने जीवन में एक से बढ़कर एक अवसर मिलते हैं, पर कई लोग इन्हें बस अपने आलस्य के कारण खो देते हैं। इसलिए हमें आलस्य छोड़कर मेहनत कड़ी म्हणत करना चाहिए, जिससे हम हमेशा अपने कार्य में सफल हो सके ।
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