Hindi kahani story – एक बार की बात हैं जब एक शादी शुदा जोड़ा एक किराए के घर में रहनें पहुँचा। अगली सुबह जब वे नाश्ता कर रहें थें तभी पत्नी नें खिड़की से देखा कि सामनें वाली छत पर कुछ कपड़े रस्सी पर सुख रहें थें।
तो पत्नी नें कहा, लगता हैं हमारें पड़ोसियों को कपड़े धोनें ही नहीं आतें, जरा देखों तो कितनें मैले लग रहें हैं।
पति नें उसकी बात सुनी पर अधिक ध्यान नहीं दिया। एक दो दिन के बाद फिर उसी जगह कुछ कपड़े सुख रहें थें,
पत्नी नें देखतें ही वह बात दुबारा दोहरा दी और कहा कि कब सीखेंगे ये लोग कपड़े कैसे साफ किये जातें हैं, जब कपड़े इतनें गंदे हैं तो लोग कीतनें गंदे होंगे न जाने कहां-कहां से आ जातें हैं ऐसे लोग।
पति उसकी बात सुनता रहा पर इस बार भी उसनें कुछ नहीं कहा पर अब तो ये आये दिन की बात हों गयी थीं, जब भी उसकी पत्नी खिड़की में से कपड़े सूखते देखतीं तो उनके बारें में भला बुरा कहना शुरू कर देती।
लगभग एक महीनें बाद वो दोनों पति पत्नी यूँ ही बैठकर नाश्ता कर रहें थें, पत्नी नें हमेशा की तरह नजरें उठाई और खिड़की से सामनें वाली छत की तरफ देखा और कहा अरें वाह लगता हैं इन्हें अक्कल आ गयी हैं, आज तो कपड़े बिल्कुल साफ दिख रहें है, जरूर इनको किसी नें टोका होगा।
तभी पति बोला, नहीं, उन्हें किसी नें नहीं टोका। पत्नी चोंकती हुई बोली, तुम्हें कैसे पता ?
तभी पति बोला, आज मै सुबह जल्दी उठ गया था और मैंने इस खिड़की पर लगें काँच को बाहर से साफ कर दिया, इस लिए तुम्हें आज कपड़े साफ नज़र आ रहें हैं।
फिर पति नें पत्नी को समझाते हुए कहा कि जीवन में यही बात लागू होती हैं, हम दूसरों को कैसे और किस नजर से देखतें हैं, ये इस पर निर्भर करता हैं कि हम खुद अंदर से कितनें साफ हैं।
किसी के बारें में भला बुरा कहनें से पहलें अपनें अंदर झांक कर देख लेना चाहिए और खुद से यह पूछना चाहिए कि क्या हम सामनें वालों में कुछ बेहतर और अच्छा देखनें के लिए तैयार हैं या अभी भी दूसरों को देखनें में हमारी नज़रों की खड़की गन्दी हैं।
पति की बात सुनकर पत्नी बड़ी ही शर्मिंदा हुई और मन ही मन बहुत दुःखी हुई और सोचने लगीं कि मैंनें बेवजह और बिना सोचे समझे ही अपनें पड़ोसियों को कितना बुरा भला कह दिया।
इस कहानी से हमें यह सिख मिलतीं हैं कि हमें सामनें वालों को हमेशा सही नजर से ही देखना चाहिए, बिना सोचे समझें ही उनके बारें में गलत फ़ैसला लेने का आपकों कोई अधिकार नहीं है।
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