लालची दुकानदार – Hindi kahani with moral

Hindi kahani with moral – एक बार एक पुजारी जी ने अपने पुराने पहचान के एक दुकानदार के पास 10 हजार रुपये रख दिए । उन्होंने सोचा कि जब मेरी बेटी का विवाह होगा तो मैं ये रुपए ले लूंगा।

कुछ सालों के बाद जब बेटी सयानी हो गई, तो पुजारी जी उस दुकानदार के पास गए अपने पैसे लेने, लेकिन दुकानदार ने नकार दिया और बोला कि आपने मुझे पैसा कभी दिया ही नहीं है। बताइए, क्या मैंने कुछ लिखकर दिया था ?

पुजारी जी उस दुकानदार की इस हरकत से बहुत परेशान हो गए और बड़ी चिंता में डूब गए। फिर पुजारी जी ने सोचा कि क्यों ना राजा से इसकी शिकायत कर दूं, ताकि वे कुछ फैसला कर दें और मेरा पैसा मेरी बेटी के विवाह के लिए मिल जाए।

फिर पुजारी जी राजा के पास पहुंचे और अपनी फरियाद सुनाई। राजा ने पुजारी जी की बात सुनी और कुछ देर सोचा और फिर कहा कि कल हमारी सवारी निकलेगी और तुम उस दुकानदार की दुकान के पास में ही खड़े रहना ।

दूसरे दिन राजा की सवारी निकली, सभी लोगों ने फूलमालाएं पहनाईं और किसी ने आरती उतारी।

पुजारी जी उसी दुकान के पास खड़े थे, जैसे ही राजा ने पुजारी जी को देखा, तो उसने उन्हें प्रणाम किया और कहा, गुरु जी ! आप यहां कैसे? आप तो हमारे गुरु हैं, आइए ! इस बग्घी में बैठ जाइए।

दुकानदार यह सब देख रहा था, उसने भी आरती उतारी और राजा की सवारी आगे बढ़ गई।

थोड़ी दूर चलने के बाद राजा ने पुजारी जी को बग्घी से नीचे उतार दिया और कहा, पुजारी जी ! हमने आपका काम कर दिया है । पुजारी जी को राजा की बात समझ में नहीं आई लेकिन वे बिना कोई प्रश्न किये बग्घी से उतर कर वहा से चले जाते है  ।

उधर वो दुकानदार यह सब देखकर हैरान था, कि पुजारी जी की तो राजा से बहुत ही अच्छी सांठ-गांठ है, कहीं वे मेरा कबाड़ा ही न करा दें।

दुकानदार ने तत्काल अपने मुनीम को पुजारी जी को ढूंढकर लाने को कहा। पुजारी जी एक पेड़ के नीचे बैठकर कुछ विचार-विमर्श कर रहे थे। मुनीम जी बड़े ही आदर के साथ उन्हें अपने साथ ले आया।

दुकानदार ने पुजारी जी आते ही उनको प्रणाम किया और बोला, पुजारी जी !मैंने काफी मेहनत की और पुराने खातों को देखा और पाया कि खाते में आपका 10 हजार रुपया जमा है और पिछले दस सालों में ब्याज के 3 हजार रुपए भी हो गए हैं।

दुकानदार ने आगे कहा, पुजारी जी ! आपकी बेटी मेरी बेटी जैसी भी तो है अत: एक हजार रुपये आप मेरी तरफ से ले जाइए, और उसे बेटी की शादी में लगा दीजिए। इस प्रकार उस दुकानदार ने पंडित जी को 14 हजार रुपए देकर बड़े ही प्रेम के साथ विदा किया।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा अच्छे लोगो के साथ रहना चाहिए या अच्छी संगती रखनी चाहिए ताकि हमेशा ही हमारा काम अच्छा हो ।

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