Hindi short stories – एक बार की बात है जब एक गट्टू नाम का बहुत ही गुस्सैल बच्चा था । वह छोटी-छोटी बातो में तुरंत गुस्सा जाता था । गट्टू की इस आदत से उसके पिता बहुत परेशान थे और उन्हें यह चिंता हो रही थी कि उनका बच्चा इस बुरी आदत के साथ अगर बड़ा होगा तो उसका कोई दोस्त नहीं बनेगा और उसके सारे रिश्ते ख़राब होते रहेंगे ।
एक दिन गट्टू के पिता उसे अपने पास बुलाते है और उसे बड़े ही प्यार से समझाते है और उसे कहते है ” देखो बेटा गट्टू तुम्हे अपने इस गुस्से को नियंत्रण में लाना ही पड़ेगा और उसके लिए मै तुम्हे एक तरकीब बताता हूँ, जब भी तुम्हे गुस्सा आए तो तुम बाहर जाकर लकड़ी की दीवार पर एक कील ठोकना और रोज़ रात को सोने से पहले मुझे बताना की तुमने कितने कील ठोके है ।
गट्टू अपने पिता जी की बात मान जाता है और उसे जब भी गुस्सा आता, वह बाहर जाकर लकड़ी की दीवार पर कील ठोकने लगता है ।
गट्टू पहले दिन ही चालीस कीले ठोक देता है जिससे उसे बहुत थकान होती है और इसी तरह कुछ दिन तक वह ढेर सारे कील ठोकते जाता है ।
कुछ दिन बात गट्टू को लगता है कि उसे कीले ठोकने के कारण बहुत थकान होती है और कीले ठोकने से आसान तो गुस्से पर नियंत्रण करना है तब गट्टू तय करता है कि अब उसे अपने गुस्से पर नियंत्रण करने की और ज्यादा कोशिश करनी चाहिए ।
गट्टू धीरे-धीरे अपने गुस्से पर नियंत्रण करता है और रोज़ लकड़ी की दीवार पर कीलो की संख्या कम होती जाती है ।
फिर एक दिन ऐसा आता है जब गट्टू उस दीवार पर एक भी कील नहीं ठोकता है और फिर वह भागते हुए अपने पिता जी के पास जाता है और कहता है “पिताजी, आज मैंने पूरे दिन अपने गुस्से पर नियंत्रण रखा और दीवार पर एक भी कील नहीं ठोकी ।”
गट्टू के पिताजी एकदम खुश हो जाते है और गट्टू की पीठ थप-थपा के शाबाशी देते है ।
पिताजी फिर गट्टू से कहते है “गट्टू बेटा अब तुम एक काम करो, जब भी तुम्हे गुस्सा आए और तुम उस गुस्से पर नियंत्रण करलो, तुम बाहर जाकर उस दीवार से एक कील निकाल देना ।”
गट्टू अपने पिताजी की बात सुनकर समझ नहीं पाता कि उन्होंने ऐसा क्यों बोला लेकिन वह अपने पिताजी की बात मान लेता है और अगले दिन से ही दीवार से कील निकालना शुरू कर देता है ।
धीरे-धीरे गट्टू अपने गुस्से पर नियंत्रण करते जाता है और दीवार के सारे कील निकाल लेता है और फिर अपने पिताजी के पास जाकर बोलता है “पिताजी, आपने जैसा कहा था मैंने वैसा ही किया और दीवार के सारे कील निकाल दिए ।”
पिताजी गट्टू को बाहर दीवार के पास ले जाते है और वहा पहुंच कर गट्टू से कहते है “गट्टू, तुम दीवार में इतने सारे छेद देख रहे हो ।”
गट्टू जवाब देता है “जी पिताजी ।”
पिताजी फिर कहते है “अब ये दीवार पहले जैसी साफ़-सुथरी और सुन्दर नहीं लगेगी क्योकि इसमें बने ये छेद हमेशा के लिए इसमें रहेंगे ।”
अपने पिताजी की बात सुनकर गट्टू निराश हो जाता है ।
पिताजी फिर गट्टू से कहते है “गट्टू बेटा इसी तरह से जब हम गुस्से में आकर किसी को कुछ बुरा कह देते है तो उस व्यक्ति के मन में बहुत गहरी चोट लगती है और भले ही हम बाद में उस व्यक्ति से क्षमा मांग ले फिर भी उसके मन में इस दीवार में पड़े छेद की तरह कुछ बात रह ही जाती है ।”
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी गुस्से में किसी को बुरा नहीं बोलना चाहिए और हमेशा अपने गुस्से पर नियंत्रण रखना चाहिए ।
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