Hindi stories with moral for class 5 – एक बार की बात है जब एक गांव में एक शंकर नाम का आदमी रहता था । शंकर बहुत गरीब था और एक दिन उसकी पत्नी से उसका इसी बात पर झगड़ा हो गया।
शंकर दुखी होकर गांव में ही एक चौराहे पर बैठा हुआ था तभी वहां से एक बुज़ुर्ग आदमी दो थैले लेकर जा रहा था तभी शंकर की नज़र उस बुज़ुर्ग आदमी पर पड़ती है और शंकर उसकी मदद करने जाता है और उसे कहता है “चाचाजी, लाइए मै ये थैला उठा लेता हूँ ।”
शंकर थैला उठाकर बुज़ुर्ग आदमी को घर तक छोड़ता है ।
घर पहुंचने पर वह बुज़ुर्ग आदमी शंकर को उसकी मदद करने के लिए धन्यवाद् देता है और उससे पूछता है “अरे भाई, तुम इतने उदास होकर क्यों बैठे हुए थे, क्या बात है, अगर कोई परेशानी है तो बताओ, शायद मै तुम्हारी कुछ मदद कर सकू ?”
शकर कहता है “चाचाजी, मै बहुत गरीब हूँ और मै अपने परिवार को भी पाल नहीं पा रहा हूँ, इस कारण मेरी और मेरी पत्नी के बीच बहुत झगड़ा होता है ।”
बुज़ुर्ग आदमी शंकर की बात ध्यान से सुनाता है और फिर कहता है “देखो, मै तुम्हे एक संदूक दे रहा हूँ लेकिन तुम्हे इसके बारे में कभी भी किसी को नहीं बताना है ।”
शंकर बुज़ुर्ग आदमी की बात समझ नहीं पाता है और पूछता है “संदूक, चाचाजी संदूक का मै क्या करूँगा, वह मेरे किस काम आएगा ?”
आदमी कहता है “यह कोई ऐसा वैसा संदूक नहीं, बल्कि यह एक जादुई संदूक है, इससे तुम जो भी मांगोगे तुम्हे मिलेगा ।”
शंकर को आदमी की बात पर विश्वास नहीं होता लेकिन वह बुज़ुर्ग आदमी की बात का मान रखने के लिए संदूक ले लेता है ।
संदूक लेकर शंकर अपने घर वापस आता है और अपनी पत्नी को सारी बात बताता है ।
शंकर की तरह ही उसकी पत्नी भी इस बात पे विश्वास नहीं करती है और शंकर से कहती है कि वह कोई पागल आदमी ही होगा और उसने अपना कचरा तुम्हे दे दिया है ।
शंकर कहता है “चलो ठीक है एक बार कोशिश करने में क्या बिगड़ जाएगा ।”
ऐसा कहकर शंकर संदूक के सामने खड़ा होता है और कहता है “ओ जादुई संदूक, मुझे खाने के लिए थोड़ा भोजन दे दो ।”
शंकर के ऐसा कहते ही संदूक का ऊपरी हिस्सा खुलता है और उसके अंदर से एक बड़ी सी थाली निकलती है ढेर सारे भोजन के साथ ।
शंकर और उसकी पत्नी यह देखकर आश्चर्य में पड़ जाते है और उन्हें विश्वास नहीं होता है कि ऐसा कैसे हो सकता है ।
फिर शंकर और उसकी पत्नी साथ में बैठ कर पेट भर भोजन करते है फिर उस संदूक से और भी ज़रूरत की चीज़े मंगाते है जैसे ढेर सारा अनाज, कपडे और घरेलु उपयोगी सामान ।
कुछ दिन तक दोनों का जीवन बहुत अच्छे से चलता है फिर एक दिन शंकर की पत्नी कहती है “सुनिए जी, हम इस तरह से रहेंगे तो लोग हम पर शक करेंगे और सवाल करेंगे की हम इतना सारा सामान कहा से ला रहे है ।”
शंकर कहता है “है, तुम सही कह रही हो, मै एक काम करता हूँ, संदूक से अनाज की बोरी मांगता हूँ और उसे बाजार में बेच देता है जिससे हमें पैसे मिल जाएंगे ।”
ऐसा कहकर शंकर अनाज की बोरी लेकर बाजार के लिए घर से निकल जाता है ।
रास्ते में उसे उसका एक भाई मिलता है और वह शंकर को देखकर उससे पूछता है “अरे शंकर, कहा जा रहा है ?”
शंकर जवाब देता है “मै यह अनाज की बोरी बाजार में बेचने जा रहा हूँ ।”
शंकर का भाई सोच में पड़ जाता है कि कुछ दिन पहले तक तो इसके पास खुद के खाने के लिए भी अनाज नहीं था और आज यह अनाज बाजार में बेचने जा रहा है, ज़रूर कुछ गड़बड़ है, इसका पता लगाना पड़ेगा ।
उसी रात शंकर का भाई उसके घर के बाहर आकर छुप जाता है और तभी शंकर और उसकी पत्नी उस संदूक से भोजन मंगाते है ।
यह सारी चीज़े शंकर का भाई खिड़की से चुप के देख रहा होता है और मन ही मन सोचता है “अरे वाह, ये तो जादुई संदूक है , अगर यह मुझे मिल जाए तो मै मालामाल हो जाऊंगा और मुझे कभी कोई काम नहीं करना पड़ेगा ।”
ऐसा सोचकर शंकर का भाई यह निर्णय लेता है कि उसे यह संदूक चुराना ही है और शंकर और उसकी पत्नी के सोते ही शंकर का भाई चुपके से घर में घुसता है और संदूर चुराकर तुरंत वहां से भाग जाता है ।
रात होने के कारण रस्ते में एकदम अँधेरा रहता है और शंकर का भाई भागते हुए एक गढ्ढे में गिर जाता है ।
गढ्ढे में गिरते ही वह उठता है और उससे बाहर निकलते की कोशिश करता है लेकिन गढ्ढा काफी गहरा था जिसके करना वह बाहर नहीं निकल पाता ।
कुछ देर तक बाहर निकलने की कोशिश करने के बाद उसे बहुत प्यास लगती है और वह तुरंत उस संदूक से कहता है “संदूक, मुझे पानी चाहिए, अपने अंदर से पानी निकालो। “
संदूक खुलता है और उससे तेजी से पानी निकलना चालू हो जाता है और गढ्ढा पानी से भरने लगता है ।
शकर का भाई समझ नहीं पाता और जब तक वह संदूक से पानी रोकने के लिए बोल पाता, पूरा गढ्ढा पानी से भर जाता है और वह उसमे डूब जाता है ।
इस Hindi stories with moral for class 5 – जादुई संदूक कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए क्योकि लालच करने से हमेशा नुकसान ही होता है ।
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