Hindi story of Premchand – बंदरों के तमाशे तो तुमने बहुत देखे होंगे। मदारी के इशारों पर बंदर कैसी-कैसी नकल करता है, उसकी शरारतें भी तुमने देखी होंगी। तुमने उसे घरों से कपड़े उठाकर भागते देखा होगा, पर आज मैं तुम्हें एक ऐसा हाल सुनाता हूँ, जिससे तुम्हें मालूम होगा कि बंदर इंसानो से दोस्ती भी कर सकता है।
कुछ दिन हुए लखनऊ में एक सर्कस कंपनी आयी थी, उसके पास शेर, भालू, चीता और कई तरह के जानवर थे, इनमे एक चिम्पू नाम का बन्दर भी था । लड़कों के झुंड के झुंड रोज इन जानवरों को देखने आया करते थे। सारे जानवरो में चिम्पू उन्हें सबसे अच्छा लगता।
उन्हीं लड़कों में कृष्णा भी था। वह रोज आता और चिम्पू के पास घंटों चुपचाप बैठा रहता। उसे शेर, भालू, चीते आदि से कोई प्रेम न था । वह चिम्पू के लिए घर से चने, मटर, केले लाता और खिलाता। चिम्पू भी उससे इतना हिल गया था कि बगैर उसके खिलाए कुछ न खाता । इस तरह दोनों में गहरी दोस्ती हो गयी।
एक दिन कृष्णा ने सुना कि सर्कस कंपनी वहां से दूसरे शहर में जा रही है। यह सुनकर उसे बड़ा दुःख हुआ। वह रोता हुआ अपनी मां के पास आया और बोला, “अम्मा, मुझे एक अठन्नी दे दो, मैं जाकर चिम्पू को खरीद लाऊं। वह न जाने कहां चला जायेगा ! फिर मैं उसे कैसे देखूंगा ? वह भी मुझे न देखेगा तो रोयेगा।”
मां ने समझाया, “बेटा, बंदर किसी को प्यार नहीं करता। वह तो बड़ा शैतान होता है। यहां आकर सबको काटेगा, मुफ्त में उलाहने सुनने पड़ेंगे।” लेकिन कृष्णा पर मां के समझाने का कोई असर न हुआ। वह रोने लगा।
आखिर मां ने मजबूर होकर उसे एक अठन्नी निकालकर दे दी। अठन्नी पाकर कृष्णा मारे खुशी के फूल उठा। उसने अठन्नी को मिट्टी से मलकर खूब चमकाया, फिर चिम्पू को खरीदने चला गया। लेकिन चिम्पू वहां दिखाई न दिया।
कृष्णा का दिल भर आया और उसके मन में बात आई कि चिम्पू कहीं भाग तो नहीं गया ? मालिक को अठन्नी दिखाकर कृष्णा बोला, “क्यों साहब, चिम्पू को मेरे हाथ बेचेंगे ?” मालिक रोज उसे चिम्पू से खेलते और खिलाते देखता था। हंसकर बोला, ” अभी नहीं पर जब अगली बार आऊंगा तो चिम्पू को तुम्हें दे दूंगा।”
कृष्णा निराश होकर चला आया और चिम्पू को इधर-उधर ढूँढने लगा। वह उसे ढूंढने में इतना मंगन था कि उसे किसी बात की खबर न थी । उसे बिलकुल न मालूम हुआ कि वह चीते के पिंजरे के एकदम पास आ गया था।
चीता भीतर चुपचाप लेटा था। कृष्णा को पिंजरे के पास देखकर उसने पंजा बाहर निकाला और उसे पकड़ने की कोशिश करने लगा । कृष्णा तो दूसरी तरफ ताक रहा था। उसे क्या खबर थी कि चीते का पंजा उसके हाथ के पास पहुंच गया है!
चीता उसके हाथ को पंजे से खींचने ही वाला था कि चिम्पू न मालूम कहां से आकर उसके पंजे पर कूद पड़ा और पंजे को दांतों से काटने लगा।
चीते ने दूसरा पंजा निकाला और उसे ऐसा घायल कर दिया कि वह वहीं गिर पड़ा और जोर-जोर से चीखने लगा। चिम्पू की यह हालत देखकर कृष्णा भी रोने लगा। दोनों का रोना सुनकर लोग दौड़े, पर देखा कि चिम्पू बेहोश पड़ा है और कृष्णा रो रहा है।
चिम्पू का घाव तुरंत धोया गया और दवा लगाई गई। थोड़ी देर में उसे होश आ गया। वह कृष्णा की ओर प्यार की आंखों से देखने लगा, जैसे कह रहा हो कि अब क्यों रोते हो? मैं तो अच्छा हो गया न ।
कई दिन चिम्पू की मरहम-पट्टी होती रही और आखिर वह बिल्कुल अच्छा हो गया। कृष्णा अब रोज आता और उसे रोटियां खिलाता। आखिर कंपनी के जाने का दिन आया। कृष्णा बहुत दुखी था। वह चिम्पू के पिंजरे के पास खड़ा आंसू भरी आंखों से देख रहा था कि मालिक ने आकर कहा, “अगर तुम चिम्पू को पा जाओ तो उसका क्या करोगे ?”
कृष्णा ने कहा, “मैं उसे अपने साथ ले जाऊंगा, उसके साथ खेलूंगा, उसे अपनी थाली में खाना खिलाऊंगा और उसकी अच्छे से देखभाल करूँगा।”
मालिक ने कहा, “अच्छी बात है, मैं बिना तुमसे अठन्नी लिए ही इसे तुम्हे देता हूं।” कृष्णा को जैसे कोई राज मिल गया। उसने चिम्पू को गोद में उठा लिया, पर चिम्पू नीचे कूद पड्डा और उसके पीछे-पीछे चलने लगा। दोनों खेलते-कूदते घर पहुंच गये।
Also read – चिड़िया का घोसला – Cartoon kahani in Hindi
Also read -शहज़ादे की बुरी आदत – Akbar Birbal Hindi kahani
Also read – विजय नगर में चोरी – Story of Tenali Raman in Hindi
Also read – इनाम का आधा हिस्सा – Akbar Birbal Hindi kahaniya
Also read -भिखारी की सीख – Small Panchatantra stories in Hindi
Also read -मुसाफिर और चालाक गाड़ीवाला – Hindi kahaniya cartoon
Also read – बीरबल का मनोरंजक उदहारण – Akbar and Birbal Hindi story
Also read – आश्रम का उत्तराधिकारी – Panchatantra stories for kids in Hindi
अगर आपको Hindi story of Premchand – कृष्णा और चिम्पू की दोस्ती कहानी पसंद आई हो तो कृपया इसे अपने साथियो के साथ शेयर करे। धन्यवाद् ।