एक ईमानदार भिखारी – Imandari ka fal

Imandari ka fal – एक बार की बात है जब एक व्यापारी नगर में घूम रहा था। उसके हाथ में स्वर्ण मुद्राओ से भरी एक थैली थी।

अचानक व्यापारी एक आदमी से टकरा गया और व्यापारी की थैली उसके हाथ से गिर गई।

व्यापारी को बिल्कुल भी पता नहीं चला की उसकी थैली गिर गई। कुछ दूर जाने पर उसने देखा कि थैली उसके पास नहीं है।

व्यापारी वहां आसपास खड़े लोगों से कहता है कि जो भी मेरी थैली वापस करेगा मैं उसे इनाम दूंगा।

वह थैली पास में बैठे एक भिखारी को मिल गई और उसने थैली को खोलकर देखा तो उसमे स्वर्ण मुद्राएं थी। जब भिखारी उन्हें गिनने लगा तो इसमें दस स्वर्ण मुद्राएं निकली।

व्यापारी सबसे कह रहा था कि जो भी मुझे मेरी थैली लौटाएगा, तो मैं उसे इनाम दूंगा।

भिखारी को लगा कि व्यापारी को परेशान करना ठीक नहीं है इसलिए वह उस व्यापारी के पास गया और कहा कि यह थैली नीचे गिर गई थी। व्यापारी ने थैली ले ली और स्वर्ण मुद्राएं गिनने लगा।

स्वर्ण मुद्राएं दस निकली लेकिन व्यापारी उस भिखारी को ईनाम की राशि देना नहीं चाहता था इसलिए उसने भिखारी से कहा कि इसमें तो बीस स्वर्ण मुद्राएं थीं।

मतलब तुमने दस स्वर्ण मुद्राएं अपने पास रख ली। इसका मतलब यह हुआ कि तुमने चोरी की है।

इसलिए मैं तुम्हें कोई इनाम नहीं दूंगा और कहने लगा कि अगर तुमने ज्यादा कुछ कहा तो मैं यहां पर कोतवाल को बुला लूंगा और कोतवाल तुम्हें पकड़कर जेल में बंद कर देगा।

फिर व्यापारी ने भिखारी से कहा कि यहां से चले जाओ पर भिखारी भी अड़ा रहा और कहता रहा कि थैली में बीस नहीं दस स्वर्ण मुद्राएं ही थी।

व्यापारी ने कहा कि तुम ऐसे नहीं मानोगे, रुको मैं कोतवाल से तुम्हारी शिकायत करूंगा की तुमने चोरी की है।

व्यापारी ने कोतवाल को सारी बात बता दी फिर अगले दिन फैसला सुनाने के लिए दोनों को राजा के दरबार में बुलाया गया।

राजा ने दोनों की दलीले सुनने के बाद कहा कि मुझे तुम दोनों की बात समझ में आ गई है। राजा ने व्यापारी से कहा की आपकी थैली में बीस स्वर्ण मुद्राएं थी जबकि इस थैली में दस स्वर्ण मुद्राएं है।

इसका मतलब थैली तुम्हारी नहीं है और जब यह तुम्हारी थैली है ही नहीं तो फिर भिखारी को कोई सजा नहीं दी जाएगी।

क्योंकि भिखारी ने थैली वापिस करके ईमानदारी दिखाई और अपना फर्ज पूरा किया इसलिए भिखारी को इनाम दिया जाएगा।

इस पर व्यापारी ने सोचा कि अगर मैने सच कहा तो राजा मुझे सजा सुना देगा। इसलिए व्यापारी बिना कुछ कहे वहां से चुपचाप चला गया।

राजा ने भिखारी को ईनाम के तौर पर वह थैली दे दी और भिखारी खुश होकर वहां से चला गया।

इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि हमें हमेशा ईमानदारी दिखानी चाहिए क्योकि लालच करने वाले को हमेशा नुकसान ही होता है।

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