In Hindi kahani – एक बार की बात है जब एक गाँव में तालाब के किनारे पर चार औरतें पानी भर रही थी। पानी भरते- भरते वे एक-दूसरे से बातें कर रही थी।
चारों औरतों के एक-एक बेटे थे। बातों ही बातों में उन्होंने अपने अपने बेटो के गुणों का बखान करना शुरू कर दिया। पहली औरत बोली: मेरा बेटा बहुत सुरीली बांसुरी बजाता है, जो भी उसकी बांसुरी सुनता है, वह मंत्रमुग्ध हो जाता है। मैं ऐसा गुणवान बेटा पाकर बहुत खुश हूँ।
दूसरी औरत बोली : मेरा बेटा बहुत बड़ा पहलवान है, इस गाँव में ही नहीं, बल्कि दूर-दूर के गाँव में उसकी पहलवानी का डंका बजता हैं। ऐसा बलवान पुत्र भगवान सबको दे।
तीसरी औरत ने कहा : मेरा बेटा बहुत बुद्धिमान है। उससे अधिक बुद्धिमान इस पूरे गाँव में कोई नहीं है, लोग अपनी समस्यायें लेकर उसके पास आते है। मैं ऐसा बेटा पाकर धन्य हो गई।
चौथी औरत ने सबकी बातें सुनी, लेकिन कहा कुछ भी नहीं। इस पर बाकि तीनो औरतें उससे कहने लगी: बहन, तुम भी तो कुछ कहो ना। तुम्हारे बेटे में भी कोई न कोई गुण तो अवश्य होगा।
चौथी औरत बोली : क्या कहूं बहनों, मेरे पुत्र में तुम्हारे पुत्रों की तरह कोई गुण नहीं है।
उसकी बात सुनकर तीनों औरतों ने गर्व से अपना सिर उठा लिया।
कुछ देर में सबने पानी भर लिया और वापस जाने के लिए अपना-अपना घड़ा उठाने लगी। उसी समय पहली औरत का पुत्र हाथ में बांसुरी लिए वहाँ से गुजरा।
उसने देखा कि उसकी माँ पानी से भरा घड़ा नहीं उठा पा रही है, किंतु वह यह अनदेखा कर बांसुरी बजाते हुए वहाँ से चला गया।
दूसरी औरत का पहलवान पुत्र कुछ ही दूरी पर कसरत कर रहा था। उसकी माँ कुएं से घड़ा उठाकर जैसे ही उतरी, उसका पैर फिसल गया, लेकिन किसी तरह वह संभल गई, किंतु पहलवान पुत्र अपनी माँ को नज़र उठा कर देखने के बाद भी उसके पास नहीं आया और अपनी कसरत में लगा रहा।
तीसरी औरत का पुत्र भी वहाँ से किताब पढ़ते हुए निकला। उसकी माँ ने उससे कहा: बेटा, मैं दोनों हाथों से घड़ा पकड़े हुए हूँ, ये रस्सी जरा मेरे कंधे पर डाल दे, लेकिन वह अपनी माँ की बात अनसुनी कर वहाँ से चला गया।
तभी चौथी औरत का पुत्र वहाँ आया। अपनी माँ के सिर पर घड़ा देख वह उसके पास गया और उसके सिर से घड़ा उतारकर अपने सिर पर रखकर चलने लगा।
कुएं के पास बैठी एक बुढ़िया यह सब देख-सुन रही थी। वह बोल पड़ी: मुझे तो यहाँ बस एक ही गुणवान पुत्र नज़र आ रहा है, जो अपने सिर पर घड़ा लिए जा रहा है। माता-पिता की सेवा करने वाले पुत्र से गुणवान पुत्र भला कौन हो सकता है।
इस कहानी से यह सीख मिलती है कि गुणवान पुत्र वही है, जो अपने माता-पिता की सेवा करे और साथ ही सबकी सहायता के लिए तत्पर रहे।
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