पचास लाख का चेक – Interesting kahani

Interesting kahani – एक बार की बात है जब बड़ी कंपनी का मालिक पूरी तरह से कर्ज में डूब गया था और उसकी पूरी कंपनी बंद होने की कगार पर आ गई थीं।

वह बहुत चिंता में डूबा हुआ समुद्र के किनारें बैठा हुआ था। वह अपनी जिंदगी से बहुत ही ज्यादा निराश हो चुका था और आत्महत्या करने की सोच रहा था।

तभी अचानक वहा पर एक बूढ़ा व्यक्ति आया और उस सेठ से बोला कि भाई क्या बात हैं आप बहुत ही ज्यादा परेशान लग रहें हो?

दिखने में तो आप काफी अमीर दिख रहे हो, फिर क्या परेशानी है आपको, कृपया आप मुझें बताइए शायद मैं आपकी कुछ मदद कर सकूँ।

तभी उस सेठ ने अपनी सारी परेशानी उस बूढ़े आदमी को बताई और कहा कि अब मेरी कंपनी डूबने वाली हैं और मैं कुछ भी नहीं कर सकता।

तभी उस बूढ़े आदमी नें अपनी जेब से चेक बुक निकाली और चेक लिखकर उस परेशान सेठ को दे दिया और कहा कि तुम यह चेक रखों और ठीक एक वर्ष बाद हम यहाँ फिर मिलेंगें तो तुम मुझें यह पैसे वापस लौटा देना।

उस सेठ ने वो चेक देखा तो उसकी आँखें फटी की फटी रह गयी, उसके हाथों में पचास लाख रुपयों का चेक था, जिस पर शहर के सबसे अमीर व्यक्ति हर्ष मल्होत्रा के हस्ताक्षर थें।

उस सेठ को यह विश्वास नहीं हो पा रहा था कि वह बूढ़ा व्यक्ति और कोई नहीं बल्कि शहर का सबसे अमीर आदमी राजीव शर्मा था।

तभी उस सेठ नें उस बूढ़े व्यक्ति को आसपास देखा लेकिन तब तक वो वहाँ से जा चुका था। परेशान सेठ बहुत खुश हो गया क्योकि अब उसकी सारी परेशानी खत्म हो जाएगी और उस बूढ़े आदमी नें जो उसे पचास लाख का चेक दिया हैं उससे उसकी कंपनी फिर से शुरू हो जाएगी। लेकिन उस सेठ नें ये निश्चय किया कि वह उस चेक को तभी इस्तेमाल करेगा जब उसे उसकी बहुत ज्यादा जरूरत पड़ेगी।

अब उस सेठ की सारी चिंताएँ दूर हो चुकीं थीं और वह बिल्कुल निडर होकर अपनें कारोबार को आगे बढ़ाने लग गया।

अब उसके अंदर एक नया आत्मविश्वास जाग चुका था जिसकी वजह से वो अपनें करोबार को पूरी हिम्मत और पूरी ताकत के साथ आगे बढ़ाने लगा, क्योकि उस सेठ के पास

पचास लाख रुपयों का चेक था जो जरूरत पड़ने पर उसके काम आ सकता था।

उसनें कुछ ही महीनों में बड़े व्यापारियों के साथ अच्छे समझौते कर लिए जिससे धीरे-धीरे उसका व्यापार बहुत ज्यादा आगे बढ़ गया था और उसने उस चेक को इस्तेमाल किए बिना ही अपना सारा कर्जा चुका दिया।

फिर ठीक एक वर्ष बाद वह सेठ वहीं समुंद्र के किनारें पचास लाख का वह चेक वापस लौटाने पंहुचा और कुछ देर बाद थोड़ा आस-पास ढूंढने पर उसे वह बूढा व्यक्ति भी वहा घूमता हुआ मिल गया।

सेठ ने उसे वो चेक वापस करतें हुए कहा कि आपका धन्यवाद जो आपने मेरे बुरे वक़्त में मेरी सहायता की और आपके इस पचास लाख के चेक नें मुझें इतनी हिम्मत दी कि मेरा कारोबार फिर से खड़ा हो गया और मुझें इस चेक को उपयोग  करनें की जरूरत ही नहीं पड़ी।

वो सेठ अपनी पूरी बात खत्म कर पाता कि इससे पहलें ही एक पागल खाने के कुछ कर्मचारी वहाँ पर आ पहुँचे और उस बूढ़े आदमी को पकड़कर पागलख़ाने ले जानें लगें।

ये सब देख कर सेठ ने कहा ये आप क्या कर रहें हो, आप जानतें हैं ये कौन हैं? यह शहर के सबसे अमीर आदमी हर्ष मल्होत्रा हैं।

ये सुनकर पागलख़ाने के एक कर्मचारी नें कहा कि साहब आपको कोई गलत फहमी हो गयी हैं, ये एक पागल हैं जो अपने आपको हर्ष मल्होत्रा समझता हैं और हमेशा भाग कर यहीं समुद्र के किनारें आ जाता और लोगो से ये कहता फिरता हैं कि वह इस शहर का आमिर आदमीहर्ष मल्होत्रा हैं और मुझें लगता हैं इसनें आपको भी बेवकूफ बना दिया।

सेठ उस कर्मचारी की बात सुनकर हैरान रह गया, उसे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि वो बूढ़ा आदमी हर्ष मल्होत्रा नहीं हैं और एक वर्ष से जिस चेक के दम पर वो आराम से अपनें कारोबार में जोखिम उठा रहा था, वह तो नकली था।

ये बात वह सेठ काफ़ी देर तक सोचता रहा फिर उसे समझ आया कि यह पैसा नहीं था जिसके दम पर उसनें अपना कारोबार फिर से खड़ा किया हैं बल्कि यह तो उसकी निडरता, हिम्मत और उसका आत्मविश्वाश था जो उसी के अंदर था।

इस Interesting kahani – पचास लाख का चेक कहानी से हमें यह सिख मिलती हैं कि जब हम आत्मविश्वास, निडरता और पूरी हिम्मत से अपनें लक्ष्य की प्राप्ति के लिए निरंतर प्रयास करतें हैं तो हमें एक दिन सफलता जरूर मिलती हैं।

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