सकारात्मक सोच – Interesting stories in Hindi

Interesting stories in Hindi – एक बार की बात है जब एक शहर में एक सेठ रहता था। उसकी बड़ी संस्था थी, जिसमें बहुत से लोग काम करते थे।

उस सेठ का एक विश्वसनीय व्यवस्थापक था, जो वर्षों से उसके यहां काम कर रहा था।

सेठ जी उस पर अटूट विश्वास करते थे और सेठ की अनुपस्थिति में सारा काम भी वही देखता और सम्हालता था।

उस व्यवस्थापक में एक बड़ी खासियत यह थी कि वह कभी भी संस्था से अनुपस्थित नहीं होता था और अपने काम को बहुत अच्छे ढंग से करता था।

एक बार वह अचानक कुछ दिनों के लिए फैटी से अनुपस्थित हो गया। सेठ जी ने सोचा कि मैंने बहुत समय से उसका वेतन नहीं बढ़ाया है, इसलिए शायद वह कहीं और दूसरा काम ढूंढने के लिए गया होगा।

पांच दिन बाद जब व्यवस्थापक काम पर आया, तो सेठ ने उसके वेतन में दस प्रतिशत की वृद्धि कर दी।

जब व्यवस्थापक को बढ़ा हुआ वेतन मिला, तो उसने कुछ भी नहीं कहा और चुपचाप पैसे लेकर चला गया और अपने काम में लग गया।

फिर सब ठीक चलने लगा। कुछ महीनों बाद व्यवस्थापक फिर से कुछ दिनों के लिए संस्था से अनुपस्थित हो गया।

सेठ को इस बात पर बहुत गुस्सा आया कि मैंने व्यवस्थापक का वेतन भी बढ़ा दिया, जिसका उसने धन्यवाद भी नहीं किया और अब फिर से वह गायब हो गया। अब मैं उसकी बढ़ी हुई सैलरी वापस काट लूंगा।

दस दिनों बाद व्यवस्थापक काम पर आया, तो उसे उस महीने दस प्रतिशत कम वेतन मिला।

यह देखकर व्यवस्थापक ने फिर से कुछ नहीं कहा और चुपचाप वापस अपने काम में लग गया।

इस बार सेठ को बहुत आर्श्वय हुआ। उसने व्यवस्थापक को बुलाया और पूछा, क्या बात है, तुम किसी बात पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं देते।

जब तुम्हारा वेतन बढ़ा, तब भी तुमने कुछ नहीं कहा और अब जब तुम्हारी वेतनवृद्धी वापस ली जा रही है, तब भी तुम चुप हो, ऐसा क्यों?

व्यवस्थापक ने मुस्कराते हुए कहा, सेठ जी, दरअसल, पहली बार मैं पांच दिनों के लिए अनुपस्थित हुआ था, जिस समय मुझे बेटी हुई थी और जब आपने मेरे वेतन में बढ़ोतरी की, तो मैंने सोचा कि यह बढ़ोतरी मेरी बेटी के लिए है।

दूसरी बार जब मै अनुपस्थित हुआ था, तब  मेरी माता का देहांत हो गया था, उसके बाद आपने मेरी बढ़ोतरी वापस ले ली, तो मुझे लगा कि मेरी माँ अब इस दुनिया में नहीं है, इसी कारण मुझे घटा हुआ वेतन मिला।

व्यवस्थापक की सकारत्मक सोच देख सेठ जी उठे और उसे गले से लगा लिया और कहा, जिस संस्था में तुम्हारे जैसे सकारात्मक सोच के लोग हों, जो हर परिस्थिति में कुछ अच्छा देखते हैं, वह संस्था कभी भी किसी से पीछे नहीं रह सकती।

यह कहते हुए सेठ जी ने और ज्यादा बढ़ा हुआ वेतन का चेक व्यवस्थापक की ओर बढ़ा दिया।

एक विचारक ने कहा है कि हर व्यक्ति किसी भी नकारात्मक परिस्थिति में अवसरों की तलाश करता है और इस कारण वह किसी भी परिस्थिति को संभालने की काबिलियत खुद में पैदा कर लेता है।

यदि हम इस बात को समझ सके, तो जीवन का कोई भी रंग हमें विचलित नहीं कर सकेगा।

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