Kahaniya in Hindi pdf – बहुत पुरानी बात है जब एक बार एक राजा उत्तर,दक्षिण, पूर्व, पश्चिम हर दिशा में जा कर, विभिन्न राज्यों पर चढ़ाई कर उनसे बहुत सारा खजाना लूटा।
अब क्योंकि राजा अक्सर बाहर रहता था इसलिये उसने अपना खजाना रखने के लिये एक बहुत बड़ा कमरा बनवाया और उसकी चौकीदारी के लिये एक आदमी को तैनात कर दिया।
यह चौकीदार दूसरों से तो खजाना बचाने में बहुत चतुर था, परन्तु उसने खुद ही खजाने में से चोरी करनी शुरू कर दी। इस तरह कई साल बीत गये उसको चोरी करते करते।
वह चौकीदार उस कमरे में से थोड़ा-थोड़ा करके खजाना निकालता और उसको ले जा कर अपने भंडारघर में रख देता।
इस तरह उस चौकीदार ने राजा की सारी आलमारियाँ जो सोने चाँदी और रत्नों से भरी हुई थीं, सब खाली कर दीं और उन्हें पत्थरों से भर दिया।
अब राजा बूढ़ा हो गया और लड़ाई के घावों की वजह से अपंग भी हो गया था, तो सन्यास लेकर घर लौटा। चौकीदार राजा के सामने गया और सिर झुका कर चापलूसी वाले स्वर में बोला “अब तो जहाँपनाह लौट आये हैं, एक बार फिर शेर अपने घर आ गया है तो अब मेरे जैसे बूढ़े चौकीदार की यहाँ कोई जरूरत ही नहीं रह गयी है, इसलिये अब मुझे इजाज़त दीजिये।”
राजा बोला “तुम सच कहते हो। तुमने बहुत साल हमारी सेवा की है इसलिये सोने से भरी हुई एक अलमारी खुशी-खुशी अपने घर जाओ और सुखी रहो।”
चौकीदार ने एक आलमारी उठायी और घर चला गया। चौकीदार के जाने के बाद राजा ने अपनी सारी आलमारियाँ खोली और देखा कि उसकी तो सारी आलमारियाँ पत्थरों से भरी पडी हैं।
यह देख कर राजा ने अपने एक आदमी को उस बेईमान चौकीदार को लाने के लिये भेजा। उधर चौकीदार अपनी सब सम्पत्ति ले कर दूसरे राज्य भाग रहा था, परन्तु राजा का राज्य अब बहुत बड़ा हो गया था और चौकीदार के पास सोने चाँदी व रत्नों से लदे कई खच्चर थे, इसलिये राजा के आदमियों ने उसको राज्य की सीमा के बाहर निकलने से पहले ही पकड़ लिया और कहा – “महाराज तुमसे मिलना चाहते हैं और तुमसे कुछ बात करना चाहते हैं।”
जब चौकीदार महल में आया तो राजा ने उसको अपने सिंहासन वाले कमरे में बिठाया और बोला – “मैं तुमको एक छोटी सी कहानी सुनाना चाहता हूँ। तुम यहाँ बैठो और उस कहानी को ध्यान से सुनो।
एक बार एक साँप रेंगता हुआ एक घर में घुस गया। वहाँ उसने दूध से भरी तंग गरदन वाली एक खुली हुई बोतल देखी। मौका देख कर वह उस बोतल की खुली गरदन में घुसा और धीरे धीरे उस बोतल की तंग गरदन से रेंगता हुआ नीचे जा कर दूध पीने लगा। साँप दूध पीता गया और बोतल का सारा दूध पी कर ख़तम कर दिया।
दूध पीने की वजह से वह इतना मोटा हो गया कि उसके लिये अब उस बोतल की तंग गरदन से बाहर निकलना असंभव हो गया। इतना कह कर राजा रुक गया और चौकीदार की तरफ देख कर मुस्कुराया।
चौकीदार ने पूछा “क्या यही इस कहानी का अन्त है? मुझे लम्बे सफर पर जाना है इसलिये मैं ज़रा जल्दी जाना चाहूँगा।” राजा बोला ” अन्त तो यह नहीं है पर तुम्हारे खयाल में साँप को उस बोतल से बाहर निकलने के लिये क्या करना चाहिये? इस पर तुम्हारा क्या कहना है है?”
चौकीदार बोला ” अगर उस साँप को उस बोतल में से बाहर निकलना ही है तो उसने जो दूध पिया है उसे उगल देना चाहिये।”
राजा बोला “तुम ठीक कहते हो। पर क्या उसे सारा दूध उगल देना चाहिये?”
चौकीदार बोला ” अगर वह बाहर निकलना चाहता है तो उसे सारा ही दूध उगलना पड़ेगा ।”
राजा बोला – “हाँ बिल्कुल ठीक, सारा का सारा।”
इतने में चौकीदार ने देखा कि राजा के सिपाही उस कमरे के हर दरवाजे से भाला लिये हुए चले आ रहे हैं। चौकीदार के पास अब कोई चारा नहीं था।
उसने राजा का सारा खजाना वापस कर दिया। राजा होशियार भी था और धीरज वाला भी, उसने अपने सिपाहियों
को उस चौकीदार से खजाना छीनने की आदेश नहीं दिया, बल्कि एक सीख वाली कहानी सुना कर चौकीदार को सारा खजाना वापस करने पर मजबूर किया।
इस Kahaniya in Hindi pdf – खजाने का लालची चौकीदार कहानी से हमको दो सीख मिलती हैं। एक तो यह कि धीरज और होशियारी से मुश्किल से मुश्किल परेशानी का हल आसानी से और बिना किसी अप्रिय घटना के निकल आता है।
दूसरी सीख, किसी भी आदमी को अपनी सीमा से बाहर कोई काम नहीं करना चाहिये। अगर वह चौकीदार थोड़ी सम्पत्ति चुराता तो शायद राजा को पता न चलता परन्तु उसने राजा की सारी सम्पत्ति चुरायी, इसी वजह से वह आसानी से पकड़ा गया।
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