भेद-भाव की आदत | Moral stories in Hindi for class 2

Moral stories in Hindi for class 2 – एक बार की बात है जब एक गांव मे एक सुन्दरी नाम की लड़की रहती थी, सुंदरी आपने नाम की तरह दिखने मे बहुत सुन्दर थी । लेकिन सुंदरी का व्यवहार दूसरो के प्रति बहुत ही ख़राब रहता था, जो भी व्यक्ति रंग-रूप मे सुंदरी से थोड़ा भी कम रहता वह उसका मज़ाक उड़ाती ।

एक दिन सुंदरी बाजार जाने के लिए तैयार हो रही थी तभी उसकी एक सहेली शीला बाजार जाने के लिए उसे लेने आती है, शीला जैसे ही सुंदरी के घर मे घुसती है सुंदरी उसे देखकर उसका मज़ाक उड़ाते हुए कहती है “अरे शीला, तू ऐसी ही घर के कपड़ो मे आ गई, तैयार क्यों नहीं होकर आई ?”

शीला सुंदरी की बात सुनकर नाराज़ हो जाती है और सुंदरी से कहती है “देख सुंदरी, तुझे मेरे साथ नहीं जाना है तो मत जा, लेकिन मेरा इस तरह से मज़ाक मत उड़ा ।”

फिर सुंदरी शीला से कहती है “अरे शीला, मै तो तुझसे मज़ाक कर रही थी, तू  बूरा क्यों मान रही है ।”

ऐसा कहकर सुंदरी शीला को मना लेती है और वो दोनों बाजार के लिए निकाल जाते है ।

बाजार के रास्ते मे उन्हें एक फटे कपडे पहना हुआ भिखारी मिलता है जिसे देखकर सुंदरी कहती है “छी, वह आदमी कितना गन्दा दिख रहा है, शीला हम उस भिखारी के पास से नहीं जाएँगे, नहीं तो वह हमारे पास भी आ जाएंगे ।”

शीला उसे समझाते हुए कहती है “सुंदरी, तेरा ऐसा व्यव्हार करना बिल्कुल भी अच्छा नहीं है, तू अगर दिखने मे सुन्दर है इसका मतलब यह नहीं कि जो भी तेरे जैसा सुन्दर ना दिखता हो तो उससे तू बुरा व्यवहार करेगी, भगवान् ने हर किसी को अलग रंग-रूप दिया है, हर कोई तेरे जैसा सुन्दर नहीं दिख सकता, हर व्यक्ति की परिस्थिति एक जैसी नहीं होती । “

सुंदरी शीला की बात पर ध्यान ना देते हुए उसका हाथ खींचते हुए आगे ले जाती है ।

आगे कुछ दूर पहुंचते ही सुंदरी का पैर फिसलता है और वह एक तालाब मे गिर जाती, सुंदरी तालाब मे डूबने लगती है ।

शीला मदद के लिए ज़ोर से चिल्लाती है । पास मे ही खड़ा वह भिखारी शीला की आवाज़ सुनता है और भागते हुए आता है और जैसे ही सुंदरी को डूबते हुए देखता है तो सीधा तालाब मे छलांग लगा देता है ।

भिखारी सुंदरी को तालाब से बाहर निकलता है और किनारे मे ही उसे लेटा कर चला जाता है ।

कुछ देर बाद सुंदरी की आँख खुलती है और वह रोते हुए शीला से पूछती है “शीला, मुझे तालाब मे डूबने से किसने बचाया ?”

शीला जवाब देते हुए कहती है “सुंदरी, तुझे उसी भिखारी ने बचाया है जिसके रंग-रूप को देखकर तू दूर भाग रही थी और तालाब मे गिर गई । “

सुंदरी को शीला की बात सुनकर एहसास होता है कि उसने उस भिखारी से कितना बुरा व्यावर किया लेकिन फिर भी उसने उसकी जान बचाई ।

सुंदरी तुरंत भिखारी के पास जाती है और उसकी जान बचाने के लिए उसे धन्यवाद् देती है और आगे जीवन मे अपने भेद-भाव की आदत मे भी बदलाव लाती है ।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी आपने रंग-रूप मे घमंड नहीं करना चाहिए और किसी और का मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिए, हमें सभी के प्रति अपना व्यवहार अच्छा रखना चाहिए ।

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