Naitik kahaniya – एक बार की बात है जब एक गांव के बाजार में खूब भीड़ थी । वहा पर किसान, दुकानदार, व्यापारी, सब थे।
ढेर सारी बैलगाड़ियाँ, घोड़ागाड़ियाँ, ऊँट गाड़ियाँ, सब वहा थीं, वहा के राजा भी वहाँ आने वाले थे।
अस्तबल में एक घोड़े के छोटे से बच्चे ने जन्म लिया था। घोड़े का बच्चा उठकर चलने की कोशिश कर रहा था।
जैसे ही उसने थोड़ा चलना सीखा, वह अस्तबल के बाहर भागा। लेकिन बाहर की भीड़ को देखकर वह घबरा गया।
अस्तबल बाहर इतना शोर था कि वह डरकर वहा खड़े एक गाय और बैल के बीच जाकर छिप गया। घोड़े का मालिक उसे ढूँढ़ता हुआ वहाँ आया।
उसने देखा कि उसका प्यारा सा घोड़े का बच्च गाय-बैल के बीच खड़ा हुआ है। उसने बच्चे को पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया।
लेकिन तभी गाय का मालिक वहाँ आ गया। वह बोला, ‘यह क्या कर रहे हो? इसे कहाँ ले जा रहे हो? यह मेरा है।
घोड़े का मालिक बोला, क्या कह रहे हो मतलब? यह तो घोड़े का बच्चा है और मेरे घोड़े का बच्चा है।
गाय का मालिक बोला, “नहीं, यह बच्चा तो मेरी गाय का है, देखो तो कितने प्यार से खड़ा है उसके पास।”
दोनों में झगड़ा होने लगा। तभी उस राज्य के राजा वहाँ आ गए। गाय का मालिक और घोड़े का मालिक राजा के पास आए और अपनी-अपनी बात बताई।
राजा ने दोनों की बात सुनकर कहा, “क्योंकि यह बच्चा गाय और बैल के बीच अपने आपको सुरक्षित महसूस कर रहा था, इसलिए वही इसके माता-पिता हैं।”
राजा की आज्ञा घोड़े के मालिक को माननी ही पड़ी। उसने घोड़े का बच्चा गाय वाले को दे दिया। कुछ दिनों बाद राजा अपनी बग्घी में सवार होकर कहीं जा रहे थे। उन्होंने देखा कि एक व्यक्ति बीच सड़क पर मछली पकड़ने का जाल बिछाकर बैठा हुआ था।
राजा ने सोचा कि कोई पागल व्यक्ति होगा। उन्होंने सड़क के किनारे पर बग्घी रूकवाई और उस व्यक्ति को अपने पास बुलाया।
राजा ने पूछा, “यह क्या कर रहे हो, इस मछली पकड़ने के जाल को सड़क के बीचों-बीच क्यों बिछाया हुआ है?”
वह व्यक्ति बोला, “महाराज, मैं मछलियाँ पकड़ रहा हूँ।”
राजा ने चिढ़कर पूछा, “मछलियाँ, सड़क पर मछलियाँ, क्या तुम पागल हो गए हो?”
वह व्यक्ति आदर के साथ बोला, “महाराज, जब गाय और बैल एक घोड़े के बच्चे के माता-पिता हो सकते हैं तो फिर मैं सड़क पर मछलियाँ क्यों नहीं पकड़ सकता?”
महाराज ने ध्यान से देखा तो वे उस व्यक्ति को पहचान गए, वह और कोई नहीं घोडे का वही मालिक था, जो उन्हें बाज़ार में मिला था।
राजा ने तुरंत अपने सैनिकों को आज्ञा दी, “जाओ, उस गाय-बैल के मालिक को बुलाकर लाओ।” गाय के मालिक को घोड़े का बच्चा, घोड़े के मालिक को वापिस करना पड़ा और झूठ बोलने के लिए उसे सज़ा भी दी गई।
उस दिन से एक महीने तक उसे गाय का ताजा दूध घोड़े के मालिक के घर भेजना पड़ा, वह भी बिलकुल मुफ्त में।
इस Naitik kahaniya – गाय का मालिक और बड़ा झूठ कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी भी परिस्थिति में झूठ नहीं बोलना चाहिए, क्योकि अंत में हमें इसका नुकसान ही होता है।
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