Panchatantra kahani in Hindi – बहुत समय पहले की बात है, जब एक गाँव में किशन नाम का एक वृद्ध व्यक्ति रहता था। उसकी उम्र अस्सी साल से भी ऊपर थी पर वह दिखने में चालीस साल के व्यक्ति से भी स्वस्थ लगता था।
सभी लोग बार-बार उससे उसकी सेहत का रहस्य जानना चाहते पर वह कभी कुछ नहीं बोलता था।
एक दिन राज्य के राजा को भी उसके बारे में पता चला और वह भी उसकी सेहत का रहस्य जानने के लिए उत्सुक हो गए।
राजा ने अपने गुप्तचरों से किशन की जासूसी करने को कहा। गुप्तचर भेष बदलकर उस पर नज़र रखने लगे। अगले दिन उन्होंने देखा की किशन सुबह-सुबह उठकर कहीं जा रहा था, वे भी उसके पीछे लग गए।
किशन तेजी से चलता चला जा रहा था, मीलों चलने के बाद वह एक पहाड़ी पर चढ़ने लगा और अचानक ही गुप्तचरों की नज़रों से गायब हो गया।
गुप्तचर वहीँ रुक उसका इंतज़ार करने लगे। कुछ देर बाद वह लौटा, उसने मुट्ठी में कुछ छोटे-छोटे फल पकड़ रखे थे और उन्हें खाता हुआ चला आ रहा था।
गुप्तचरों ने अंदाज़ा लगाया कि हो न हो किशन इन्ही रहस्यमयी फलों को खाकर इतना स्वस्थ है।
अगले दिन दरबार में उन्होंने राजा को सारा किस्सा सुनाया। राजा ने उस पहाड़ी पर जाकर उन फलों के बारे में पता लगाने का आदेश दिया, पर बहुत खोज-बीन करने के बाद भी कोई ऐसा असाधारण फल वहां नहीं दिखा।
अंततः थक-हारकर राजा ने किशन को दरबार में उपस्थित करने का आदेश दिया।
कुछ देर बाद ही किशन को राजा के दरबार में लाया गया और जैसे ही किशन राजा के सामने आया, राजा ने तुरंत किशन से प्रश्न किया “किशन, इस उम्र में भी तुम्हारी इतनी अच्छी सेहत देख कर हम प्रसन्न हैं और हम जानना चाहते है कि, तुम्हारी सेहत का रहस्य क्या है?”
किशन कुछ देर सोचता रहा और फिर बोला, ” महाराज, मैं रोज पहाड़ी पर जाकर एक रहस्यमयी फल खाता हूँ, वही मेरी सेहत का रहस्य है।
किशन का उत्तर सुन राजा ने कहा “ठीक है चलो हमें भी वहां ले चलो और दिखाओ वह कौन सा फल है।”
अगले दिन सभी लोग पहाड़ी की ओर चल दिए, वहां पहुँचकर किशन उन्हें एक बेर के पेड़ के पास ले गया और उसके फलों को तोड़कर अपने हाथ में लेकर बोला,” महाराज, यही वह फल है जिसे मैं रोज खाता हूँ।
“राजा क्रोधित होते हुए बोले, “तुम हमें मूर्ख समझते हो क्या, यह फल हर रोज हज़ारों लोग खाते हैं, अगर ऐसा है तो सभी तुम्हारी तरह सेहतमंद क्यों नहीं हैं?”
किशन विनम्रता से बोला “महाराज, हर रोज़ हजारों लोग जो फल खाते हैं वह बेर का फल होता है, पर मैं जो फल खाता हूँ वह सिर्फ बेर का फल नहीं, बल्कि मेरी मेहनत का फल होता है।
इसे खाने के लिए मैं रोज सुबह दस मील पैदल चलता हूँ जिससे मेरे शरीर की अच्छी वर्जिश हो जाती है और सुबह की स्वच्छ हवा मेरे लिए जड़ी-बूटियों जैसा काम करती है। बस यही मेरी सेहत का रहस्य है।“
राजा, किशन की बात समझ चुके थे और उससे प्रसन्न होकर उन्होंने किशन को स्वर्ण मुद्राएं देकर सम्मानित किया एवं अपनी प्रजा को भी शारीरिक श्रम करने की नसीहत दी।
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