Panchatantra short stories in Hindi – एक बार की बात है जब जंगल में एक छोटी सी कुटिया में एक साधु महाराज रहते थे । साधु महाराज दिनभर साधना में विलीन रहते थे जिसके कारण उन्हें दैवीय शक्तियाँ प्राप्त थी ।
एक दिन एक चूहा बिल्ली से अपनी जान बचते हुए उनके पास आता है और उन्हें कहता है कि महाराज जी मुझे बचा लीजिये, मेरे पीछे एक खूंखार बिल्ली पड़ी हुई है ।
महाराज जी चूहे को अपनी कुटिया में छुपा लेते है और बिल्ली से उसकी जान बचा लेते है, तब से चूहा उनके पास ही रहने लगता है।
एक दिन चूहा कुटिया के पास में ही घूम रहा था तभी वह बिल्ली फिर से आ जाती है और फिर से चूहा भागते हुए महाराज जी के पास आता है और आज कर उनके पीछे छुप जाता है ।
चूहे को बिल्ली से बार-बार डरता देख महाराज जी अपनी दैवीय शक्तियों का प्रयोग करते हुए उसे चूहे से बिल्ली बना देते है और कहते है कि अब तुझे उस बिल्ली से डरने की कोई ज़रूरत नहीं है ।
चूहा बिल्ली बनकर खुश हो जाता है और वहा से चला जाता है ।
फिर कुछ दिन बात वह फिर से भागते हुए महाराज जी के पास वापस आता है और कहता है कि महाराज जी मुझे बचा लीजिये, मेरे पीछे एक कुत्ता पड़ा हुआ है और मुझे खाना चाहता है ।
महाराज जी कुछ सोचते है और उसे इस बार कुत्ता बना देते है और कहते है कि जा, अब तू कुत्ता बन गया है और आज से तुझे कोई भी कुत्ता परेशान नहीं करेगा ।
चूहा कुत्ता बन के खुश हो जाता है और वहां से चला जाता है ।
कुछ दिन बीतते है और पहले की तरन फिर से वह भागते हुए महाराज जी के पास आता है और कहता है कि महाराज जी, कृपया मुझे फिर से बचा लीजिये, मेरे पीछे एक भूखा शेर पड़ा हुआ है ।
महाराज जी मन ही मन सोचते है कि यह तो हमेशा ऐसे ही किसी न किसी जानवर से अपनी जान बचाकर भागता रहेगा और मेरे पास मदद के लिए आता रहेगा ।
महाराज जी इस बार उसे शेर बना देते है और कहते है “जा, अब तू शेर है, आज से तुझे पूरे जंगल में कोई भी परेशान नहीं करेगा ।”
चूहा शेर बांके बहुत ही खुश हो जाता है और वह से चला जाता है ।
कुछ दिन बीतते है चूहा शेर बनकर बहुत सारे छोटे जानवरो का शिकार करता है लेकिन एक उसे कोई शिकार नहीं मिलता है, वह बहुत देर तक जंगल में यहाँ से वहां घूमता है ।
फिर उसके मन में अचानक एक बात आती है कि वह क्यों यहाँ वहां घूमकर अपना समय बर्बाद कर रहा है, वह जाकर सीधा साधु महाराज को खा सकता है और वैसे भी वह शेर बनने से पहले एक चूहा था यह बात सिर्फ साधु महाराज को पता है और अगर कही उन्होंने किसी और जानवर को यह बात बतादि तो शेर बन के उसने जो जंगल में डर बनाया है वह भी ख़तम हो जाएगा ।
चूहा भागते हुए साधु महाराज को खाने जाता है और वहीं साधु महाराज हमेशा की तरह अपनी कुटिया में प्रभु की साधना में विलीन रहते है लेकिन जब वह शेर रुपी चूहा उनके एकदम पास आ जाता है तो उन्हें मालूम पड़ जाता है और वह उसे अपनी शक्तियों से रोक देते है और कहते है “मुर्ख चूहे, तेरी इतनी हिम्मत, मैंने तुझे शेर बनाया और तू मुझे ही खाने आ गया, रुक, मै तुझे बताता हूँ ।”
ऐसा कहकर महाराज जी उसे फिर से चूहा बना देते है और अपनी कुटिया से भगा देते है ।
इस Panchatantra short stories in Hindi – घमंडी चूहा की कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी अपनी ताकत का घमंड नहीं करना चाहिए, चाहे वह शारीरिक हो या फिर मानसिक ।
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