मन का संदेह – Panchatantra stories in Hindi

Panchatantra stories in Hindi – एक बार की बात है जब एक गांव में रमेश नाम का एक आदमी रहता था । एक दिन रमेश अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए अपने गांव से दूर एक दुसरे गांव में जाता है ।

रमेश रिश्तेदारों के लिए अपने साथ ढेर सारे उपहार ले कर जाता है जैसे बच्चो के लिए खिलौने और बड़ो के लिए कपड़े ।

दिनभर उनके घर रहकर रमेश शाम को वापस अपने गांव निकलने की बात करता है तो उसके एक रिश्तेदार कहते है “रमेश बेटा, तुम इतने महीनो बाद आए हो, कुछ देर और रुक जाओ, रात का खाना खा कर निकल जाना ?”

रमेश कहता है “मै रुकना तो चाहता हूँ लेकिन मेरे रास्ते में जो जंगल पड़ता है, लोग कहते है कि वहा भूत है जो अँधेरे में लोगो का शिकार करता है, तो मुझे अँधेरा होने से पहले ही उस जंगल को पार करना होगा । “

रिश्तेदार रमेश की बात मान जाते है और रमेश शाम को ही अपने गांव के लिए निकल जाता है । रिश्तेदारों द्वारा रमेश को एक बकरी उपहार में दी जाती है और कहा जाता है “रमेश बेटा, यह बकरी का दूध बहुत पौष्टिक होता है, तुम अपने बच्चो को रोज़ पिलाना ।”

रमेश बकरी को अपने कंधे में बिठा कर अपने गांव के रास्ते पर चलने लगता है और जैसे ही वह जंगल के अंदर घुसता है उसके मन में भूत वाली बात आ जाती है और वह डर-डर के आगे बढ़ता है ।

रास्ते में ही तीन चोर छुपे रहते है वे रमेश को डरते हुए चलते देखते है, उनमे से पहला चोर कहता है “अरे वाह, कितनी बढ़िया और मोटी बकरी है ।”

दूसरा चोर कहता है “हा, और हमें कितने दिन हो गए एक बढ़िया, स्वादिष्ठ बकरी खाये हुए, चलो फिर, उस आदमी से उसकी बकरी चुराते है ।”

तीसरा चोर कहता है “नहीं-नहीं, उस आदमी को देखकर उसे कमज़ोर मत समझो, हो सकता है उसने कही चाकू रखा होगा तो, मेरे पास एक तरकीब है जिससे वह अपनी बकरी खुद ही हमें दे देगा ।

फिर तीनो चोर मिलकर एक योजना बनाते है और योजना के अनुसार पहला चोर रमेश के सामने जाता है और कहता है “और भाई कैसे हो, और ये तुम अपनी पीठ पर एक सूअर को बैठा कर क्यों ले जा रहे हो ?”

रमेश चोर की बात सुनकर आश्चर्य में आ जाता है और उसे कहता है “ये क्या कह रहे हो भाई, ये सूअर नहीं एक बकरी है ।”

चोर कहता है “मै तुमसे झूठ क्यों कहूंगा, अगर तुम्हारी पीठ पर सूअर है तो मै उसे सूअर ही कहूंगा ना ।”

रमेश चोर की बात पर ध्यान नहीं देता है और अपने रास्ते आगे बढ़ जाता है ।

कुछ दूर चलने के बाद उसे दूसरा चोर मिलता है और वह रमेश से कहता है “अरे भाई, तुम ये कुत्ता अपनी पीठ पर बैठा कर क्यों ले जा रहे हो, क्या यह बीमार है ?”

रमेश को फिर से अजीब लगता है और वह कहता है “अरे भाई, यह कुत्ता नहीं बकरी है ।”

चोर कहता है “मै तुमसे झूठ क्यों कहूंगा, मुझे तो इसके भौंकने की आवाज़ भी आ रही है ।”

रमेश फिर से उस आदमी की बात पर ध्यान नहीं देता है और आगे बढ़ जाता है लेकिन इस बार रमेश के मन में संदेह पैदा हो जाता है और वह मन में सोचने लगता है कि लोग इस बकरी को देख क्यों नहीं पा रहे है और कही यह सच में तो सूअर या फिर कुत्ता तो नहीं है ।”

यह सोचते हुए रमेश अपने रास्ते में आगे बढ़ने लगता है फिर उसके सामने तीसरा चोर आता है और कहता है “अरे भाई, मैंने सुना था कि गधे भार उठाकर चलते है लेकिन पहली बार देख रहा हूँ कि कोई आदमी गधे का भार उठाकर चल रहा है ।”

रमेश इस बार उस चोर की बात को पूरी तरह अनसुना कर वहा से आगे निकला जाता है लेकिन उसमे मन का संदेह और बढ़ जाता है और वह सोचता है “इस बकरी के बारे में एक नहीं तीन-तीन लोगो ने मुझे बोल दिया है पता नहीं ये बकरी है की कुछ और, लगता है यह उस भूत की कोई चाल है, मुझे अपनी जान प्यारी है, मुझे नहीं चाहिए कोई बकरी ।”

रमेश इतना डर जाता है कि उस बकरी को वही छोड़कर वह तेजी से वहां से भाग जाता है और वे चोर जो छुपकर यह सब देख रहे थे वे खुश हो जाते है कि उनकी योजना सफल हो गई और उन्हें खाने को बकरी मिल गई ।

इस Panchatantra stories in Hindi – मन का संदेह कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने ऊपर पूरा आत्मविश्वास होना चाहिए ताकि जब कभी कोई हमारे ऊपर संदेह करे तो वह संदेह हमारे दिमाग ना आ जाए ।

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