Prernadayak kahani in Hindi – एक बार की बात है जब एक शहर के एक बड़े कंपनी को लगातार बहुत घाटा हो रहा था । एक वहां के सभी कर्मचारी कार्यालय पहुँचे, तो उन्हें दरवाजे पर एक पर्ची चिपकी हुई मिली।
उस पर लिखा था : कल उस व्यक्ति की पहचान हो गई, जो आपकी और इस कंपनी की प्रगति में बाधक बन रहा है। उसे देखने के देने के लिए कंपनी के सेमिनार हाल में ठीक बारह बजे में सबका उपस्थित होना अपेक्षित है।
कंपनी की प्रगति में बढ़ा डालने वाले व्यक्ति से मिलने की खबर पढ़कर उन सब में ये जानने की इच्छा उत्पन्न होने लगी कि आखिर वह कौन है, जो उनकी और कंपनी की प्रगति में बाधक बन रहा है?
12 बजे सेमिनार हाल में कर्मचारियों का आना प्रारंभ हो गया। धीरे-धीरे वहाँ इतनी भीड़ जमा हो गई कि उसे नियंत्रित करने के लिए सिक्यूरिटी गार्ड की व्यवस्था करनी पड़ी।
लोगों का आना लगातार जारी था। जैसे-जैसे लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही थी, हलचल भी बढ़ती जा रही थी।
सेमिनार हॉल में सबके दिमाग में बस यही बात चल रही थी कि आखिर वो कौन व्यक्ति है, जो कंपनी में मेरी प्रगति पर लगाम लगाने पर तुला हुआ है, वैसे यह अच्छा ही हुआ कि वह व्यक्ति मिल गया।
कुछ देर बाद हॉल में एक आकृति रही जाती है जिसपे एक पर्दा लगा हुआ होता है, उसके के अंदर एक दर्पण रखा हुआ था और जो भी पर्दा उठाकर उसमे देखता, उसे उसमें उसका ही चेहरा नज़र आता ।
उस दर्पण पर एक पर्ची भी चिपकी हुई थी, जिस पर लिखा था, जो सबकी आत्मा को झकझोर रहा था : केवल एक ही व्यक्ति आपकी प्रगति में बाधक है और वो आप खुद है। आप ही वो इंसान है, जो अपनी ख़ुशी, अपनी समझ और अपनी सफलता को प्रभावित कर सकते है। आप ही वो इंसान हैं, जो अपनी खुद की मदद कर सकते है।
आपका जीवन नहीं बदलता, जब आपका बॉस बदल जाता है। आपका जीवन नहीं बदलता, जब आपके दोस्त बदल जाते है। आपका जीवन नहीं बदलता, जब आपके साथी बदल जाते है। आपका जीवन तब बदलता है, जब आप खुद बदल जाते है।
जब आप अपने खुद के विश्वास की सीमा को लांघकर उसके पार जाते है, जब आप ये समझ जाते है कि आप और सिर्फ आप अपने जीवन के लिए जिम्मेदार है, तब आपका जीवन बदल जाता है। सबसे महत्वपूर्ण रिश्ता जो आपका किसी के साथ है, वो आपका खुद से है।
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