भाग्य का खेल – Rochak kahani in Hindi

Rochak kahani in Hindi – एक समय की बात है जब एक साधु अपनी पत्नी के साथ नदी के तट पर रहता था। उन दोनों की कोई संतान नहीं थी।

उनकी बड़ी इच्छा थी कि कम से कम एक संतान उनके यहाँ जरूर हो ।

एक दिन साधु जब तपस्या में लीन था, तभी एक चील ने अपने पंजे में फँसी एक चुहिया उसके ऊपर गिरा दी ।

साधु ने उस चुहिया को घर ले जाने का निश्चय किया लेकिन उससे पहले उसने उसे एक बच्ची में बदल दिया।

उस बच्ची को देखकर साधु की पत्नी ने पूछा, “कौन है ये और तुम इसे कहाँ से लाए हो?”

साधु ने पत्नी को पूरी बात बताई। पूरी बात सुनकर उसकी पत्नी बहुत प्रसन्न हुई और वह बोली, “तुमने ही इसे जीवन दिया है, इसलिए तुम ही उसके पिता हुए और इस तरह मैं उसकी माँ हुई।

हमारे यहाँ कोई संतान नहीं थी, इसलिए शायद भगवान ने इसे हमारे पास भेजा है।

जल्द ही वह बच्ची एक सुंदर युवती बन गई। जब वह बीस साल की हुई तो साधु और उसकी पत्नी ने उसका विवाह करने का निश्चय किया।

साधु ने सूर्य देवता का आह्वान किया। जब सूर्य देवता उसके सामने आए, तो साधु ने उनसे उसकी बेटी से विवाह करने का अनुरोध किया ।

हालाँकि, लड़की को यह विचार अच्छा नहीं लगा और उसने कह दिया, “क्षमा कीजिए, लेकिन मैं सूर्य देवता से विवाह नहीं कर सकती, क्योंकि वह बहुत गर्म हैं।

निराश साधु ने सूर्य देवता से कहा कि अब वे ही उसकी लड़की के लिए कोई सुयोग्य वर सुझाएँ ।

सूर्य देवता ने कहा, “बादलों के देवता से आपकी लड़की की जोड़ी सही बैठेगी, क्योंकि वे ही धूप की गर्मी से उसकी रक्षा कर सकते हैं।

साधु ने अब बादल देवता से उसकी लड़की से विवाह करने का अनुरोध किया। इस बार भी लड़की ने विवाह से इन्कार कर दिया और बोली, “मैं इस इनसे भी विवाह नहीं करूंगी, मुझे बादलों की गरज से बहुत डर लगता है।”

साधु फिर से उदास हो गया और उसने बादल देवता से अनुरोध किया कि वे ही कोई सुयोग्य वर सुझाएँ।

बादल देवता ने कहा, “पवन देवता के साथ इसकी जोड़ी अच्छी रहेगी क्योंकि वे आसानी से मुझे उड़ा सकते हैं।”

साधु ने अब पवन देवता से विवाह का अनुरोध किया। इस बार भी लड़की ने मन कर दिया और कहा ‘मैं ऐसे अस्थिर व्यक्ति से विवाह नहीं कर सकती जो हर समय यहाँ-वहाँ उड़ता रहता हो ।”

साधु काफी परेशान हो गया। साधु ने पवन देवता से ही कोई सुयोग्य वर सुझाने को कहा। पवन देव ने जवाब दिया, “पर्वतों के राजा बहुत मजबूत और स्थिर हैं। वे बहती हुई हवा को भी आसानी से रोक सकते हैं। उनसे आपकी लड़की की जोड़ी सही जमेगी।”

साधु अब पर्वतराज के पास गया और उससे उसकी लड़की के साथ विवाह करने का अनुरोध किया।

हर बात की तरह इस बार भी लड़की ने विवाह करने से इन्कार कर दिया और कहा, “मैं ऐसे किसी व्यक्ति से विवाह नहीं कर सकती जो इतना कठोर हो।

लड़की ने साधु से किसी नर्म वर को खोजने को कहा। साधु ने पर्वतराज से सलाह माँगी तो  पर्वतराज ने जवाब दिया, “किसी चूहे के साथ ही आपकी लड़की की जोड़ी अच्छी रहेगी क्योंकि वह नर्म भी है और आसानी से किसी पर्वत में भी बिल बना सकता है।”

इस बार लड़की को वर पसंद आ गया और इससे साधु काफी हैरान हुआ और बोला, “भाग्य का खेल कितना निराला है, तुम मेरे पास एक चुहिया के रूप में आई थीं और मैंने ही तुम्हें लड़की का रूप दिया था लेकिन देखो अब, आखिर तुम्हारी शादी एक चूहे से ही हो रही है।

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