मोर और दुखी कौंवा | Short story in Hindi with moral

short story in hindi with moral – एक बार कि बात है जब जंगल में एक टिंपू नाम का कौंवा तालाब के किनारे खड़ा हुआ पानी में अपना चेहरा देखकर रो रहा था और भगवान से कह रहा था, हे भगवान, आपने  मुझे इतना काला क्यों बनाया, मै कितना बुरा दिखता हूँ और वही आपने मोर को कितना सुन्दर बनाया है वे कितने सुन्दर दिखते है, उनके पंख कितने सुन्दर है और मेरे पंख कितने काले और बुरे दिखते है ।

तभी उसके कुछ दोस्त वहां आते है और उसे रोते हुए देखकर पूछते है “अरे टिंपू, तुम रो क्यों रहे हो, क्या बात है ?”

टिंपू गुस्से में आकर जवाब देता है “मुझे तुम लोगो से कोई बात नहीं करनी है, मुझे मेरा और तुम्हारा रंग-रूप बिल्कुल भी पसंद नहीं है और अब मै सिर्फ अच्छे और सुन्दर दिखने वाले पक्षियों और जानवरो से ही बात करूँगा ।”

टिंपू वहां से चला जाता है और थोड़ी दूर पहुंचते ही उसे वहां पर कुछ मोर पंख पड़े हुए मिलते है ।

टिंपू मोर पंख को देखकर खुश हो जाता है और उन्हें अपने शरीर में किसी तरह से लगा लेता है ताकि वह भी मोर की तरह सुन्दर दिखे ।

मोर पंख लगाने के बाद टिंपू को लगता है कि वह अब सुन्दर दिख रहा है तो वह मोर से दोस्ती कर सकता है ।

टिंपू तुरंत उड़कर मोर के पास जाता है और उनसे कहता है “मोर जी, क्या आप  मुझसे दोस्ती करेंगे, देखिये, मै आप के जैसे ही दिखता हूँ, मेरे भी आप की तरह ही सुन्दर पंख है ।”

टिंपू की बात सुनकर मोर और वहां खड़े दुसरे मोर हंसने लगते है और टिंपू से कहते है “टिंपू, तुम्हे ऐसा क्यों लगता है की मोर का पंख लगाने से कोई भी मोर बन सकता है, तुम अभी भी एक कौंवे ही हो और हम तुमसे दोस्ती नहीं कर सकते ।”

मोर की बात सुनकर टिंपू बहुत दुखी हो जाता है और उड़कर अपने दोस्तों के पास चला जाता है ।

दोस्तों के पास पहुंचकर टिंपू उन्हें सारी बात बताता है जो मोर ने उसे कही, लेकिन टिंपू के दोस्त उससे नाराज़ रहते है और उसे कहते है “टिंपू, हम भी तुम्हारे दोस्त नहीं रह सकते, तुम्हे तो सुन्दर दिखने वाले पक्षियो और जानवरो से दोस्ती करना है ना और हम तो काले और बुरे दीखते है ।”

दोस्तों की बात सुनकर टिंपू को एहसास होता है कि उसे अपने दोस्तों से बुरा बर्ताव नहीं करना चाहिए था और वह सबसे अपने बुरे व्यवहार के लिए क्षमा मांगता है ।

इस Short story in Hindi with moral – मोर और दुखी कौंवा की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने रंग रूप से कभी भी दुखी नहीं होना चाहिए, भगवान् ने सभी को एक दुसरे से अलग बनाया है और हर रंग-रूप अपने में सुन्दर है ।

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