स्वामी विवेकानंद और वैश्या – Swami Vivekananda story

Swami Vivekananda story – जयपुर के राजा, स्वामी विवेकानद के बहुत बड़े भक्त थे। राजा स्वामी विवेकानद जी का बहुत ही सम्मान करते थे।

इसीलिए राजा ने स्वामी विवेकानंद जी को अपने महल में बुलाया। उस समय रिवाज था कि जब भी किसी मेहमान को बुलाया जाता था, तो उनके स्वागत में नाच-गाने का प्रबंध किया जाता था।

इसी रिवाज के अनुसार स्वामी विवेकानंद जी के स्वागत के लिए भी राजा ने भारत की सबसे सुन्दर वैश्या को न्यौता भेजा।

सब कुछ तय हो जाने के बाद राजा को ये एहसास हुआ कि स्वामी जी तो सन्यासी हैं। उनके स्वागत के लिए वैश्या को नहीं बुलाना चाहिए था।

एक सन्यासी के लिए वैश्या की क्या जरुरत? कहाँ स्वामी जी इतने बड़े महापुरुष और कहाँ वो अदना सी वैश्या? स्वामी विवेकानंद जी उस समय तक सीखने की ही प्रक्रिया में थे।

इसलिए जब वे राजा के महल में आये तो आते ही उन्होंने वैश्या को देखा। वैश्या के बारे में पता लगते ही स्वामी विवेकानंद जी उसी समय एक कमरे में गए और खुद को कमरे के अन्दर बंद कर लिया।

उन्हें डर था की कही उस वैश्या को देखकर उनकी वासना शक्ति ना जाग जाये। राजा बाहर से उन्हें बुलाते रहे लेकिन स्वामी विवेकानंद जी ने बाहर आने से साफ साफ मना कर दिया।

राजा ने माफी भी मांगी कि उन्होंने आज तक किसी सन्यासी का स्वागत नहीं किया इसलिए उनसे ये भूल हो गई। लेकिन स्वामी विवेकानंद जी नहीं माने और अन्दर ही बंद रहे।

राजा निरंतर स्वामी जी को मनाने का प्रयास कर रहे थे। इसका कारण थी वो वैश्या। वह वैश्या भारत की सबसे सुन्दर और प्रसिद्द वैश्या थी।

अगर उसे वापस भेजा जाता तो ये उसका अपमान होता। राजा बुरी तरह फंस चुके थे। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वह इस स्थिति में क्या करें?

कैसे निजात पायें इस समस्या से? वैश्या को जब इस बारे में पता चला तो उसने एक गाना गाना शुरू किया।

उस गाने में उस वैश्या ने कहा कि उसे पता है कि वो उनके लायक नहीं है लेकिन वो तो थोड़ी दया दिखा सकते हैं। वो तो सड़क की धूल भर है पर उसके लिए वो निर्दयी क्यों हैं?

वो तो अज्ञानी है पापी है लेकिन स्वामी जी तो ज्ञानी हैं। उन्हें एक वैश्या से कैसा डर? इतना सुनने भर की ही देर थी की स्वामी विवेकानन्द जी को इस बात का आभास हुआ कि वो डर क्यों रहे हैं? एक वैश्या से उन्हें किस बात का डर है? ऐसे तो छोटे बच्चे डरा करते हैं।

उनकी समझ में अबतक आ गया था कि वह डर उनके जीवन में नहीं बल्कि मन में था। उन्हें पता लग गया था कि उन्हें उस वैश्या के प्रति होने वाले आकर्षण को अपने मन से निकालने से ही उन्हें मानसिक शांति प्राप्त हो जाएगी।

ये ज्ञान प्राप्त करने के बाद उन्होंने दरवाजा खोला और उस वैश्या के पास जाकर उस से कहा कि अब तक जो उनके मन में डर था वह उनके मन में बसी वासना का डर था।

जिसे उन्होंने अपने मन से बाहर निकाल दिया है। इस चीज के लिए प्रेरणा उन्हें उस वैश्या से ही मिली है। उन्होंने ने उस वैश्या को पवित्र आत्मा कहा।

जिसने उन्हें एक नया ज्ञान दिया। इस ज्ञान की प्राप्ति के बाद स्वामी विवेकानंद जी ने आध्यात्मिकता की एक नयी उंचाई प्राप्त की। जिस से वह संपूर्ण विश्व में प्रसिद्द हो गए।

इस Swami Vivekananda story – स्वामी विवेकानंद और वैश्या कहानी यह सीखने को मिलता है कि हमें संसार में वही दिखता है जो हम देखना चाहते हैं। खुद पर नियंत्रण न कर हम बाहरी वस्तुओं को दोष देते रहते हैं। अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण पाकर हम भी जीवन की उन ऊँचाइयों पर पहुँच सकते हैं जिसको सब नामुमकिन मानते हैं।

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