एक बार की बात है जब बादशाह अकबर के राज्य में लम्बे समय तक शांति रही।इसलिए अकबर यह सोचकर बहुत खुश हुए कि उनके राज्य के लोग उनके बनाए कानूनों और आदेशों का ख़ुशी-ख़ुशी पालन कर रहे हैं।
उन्होंने एक दिन बीरबल को यह कहते हुए प्रोत्साहित किया, "बीरबल, मेरे राज्य के लोग मेरा सम्मान करते हैं। वे मेरी बात सुनते हैं।” बीरबल ने कहा, "हुजूर, प्यार और सम्मान से ज्यादा, वे आपसे बह डरते हैं।"
अकबर, बीरबल की बात से सहमत नहीं थे, इसलिए बीरबल ने निर्णय लिया कि वे इस बात को सिध्द करेंगे। अगले दिन अकबर शिकार के लिए जा रहे थे।
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जाने से पहले, बीरबल की सलाह के अनुसार, राज्य में घोषणा की गई कि, बादशाह अकबर शिकार करने जा रहे हैं, और उनकी की इच्छा है कि जब तक वह दूर गए हैं, सभी लोग महल के बाहर बने गढ्ढे में दूध डालें,
लेकिन दिन भर किसी ने भी आकर दूध नहीं डाला। अगले दिन जब अकबर वापस आये तो गढ्ढा खली देखकर वह समझ गए कि लोग उनके आदेश का पालन नहीं कर रहे है।
कुछ दिनों बाद, बीरबल के सुझाव के अनुसार, फिर से घोषणा की गई कि बादशाह अकबर शिकार पर जा रहे हैं और वह चाहते है कि उसके राज्य के लोग महल के बाहर बने गड्ढे में दूध डालें।
साथ ही साथ यह भी ऐलान किया गया कि इस बार बादशाह अकबर लौटकर खुद गढ्ढे की जांच करेंगे। अगले दिन जब अकबर शिकार से लौटे तो दूध से भरे गढ्ढे को देखकर सुखद आश्चर्य हुआ।
बीरबल ने कहा, “हुजूर, यह देखकर आप मानते है न कि लोग आपकी इज्जत से ज्यादा, डर के कारण आपकी बात मानते है। पहली बार उन्होंने आपकी बात नहीं मानी क्योंकि उन्हें नहीं पता था कि आप निरीक्षण करेंगे,
लेकिन दूसरी बार जब यह जानकारी दी गई कि आप खुद इसकी जाँच करेंगे, तो आपसे डर के कारन उन्होंने आपके आदेश का पालन किया। आखिरकार बादशाह अकबर को बीरबल की बात माननी ही पड़ी।